Abdul Hamid News: अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) की जयंती से पहले परमवीर चक्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। शहीद वीर अब्दुल हमीद के पोते जमील आलम का दावा है कि उनकी दादी, रसूलन बीवी ने वसीयतनामे में यह सर्वोच्च सम्मान उन्हें सौंपा है। वहीं, शहीद के बेटे जैनुल हसन का कहना है कि वे अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए इसे सेना के म्यूजियम में रखवाना चाहते हैं। आपको बतादें कि वीर अब्दुल हमीद की जयंती एक जुलाई को मनाई जाएगी। इससे पहले ही परमवीर चक्र के रखरखाव और उसपर हक का विवाद गहरा हो गया।
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शहीद के बेटे का पक्ष
जैनुल हसन का कहना है कि उनकी मां की इच्छा थी कि वीर अब्दुल हमीद को मिला परमवीर चक्र सेना के म्यूजियम में रखा जाए, ताकि लोग उनके अदम्य साहस और शौर्य गाथा से प्रेरणा ले सकें। जैनुल हसन ने बताया कि उन्होंने अपने भतीजे जमील आलम से यह सम्मान मांगा था, लेकिन वह इसे देने से इंकार कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि उन्हें डर है कि जमील आलम इस सम्मान का दुरुपयोग कर सकते हैं।
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पोते का दावा
दूसरी ओर, जमील आलम का कहना है कि उनकी दादी रसूलन बीवी ने उनके और उनके भाई के नाम पर वसीयतनामा किया था, जिसमें परमवीर चक्र को उन्हें सौंपा गया है। जमील का आरोप है कि उनके बड़े पिता (जैनुल हसन) ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की थी, जिसका उन्होंने लिखित जवाब दिया था। जमील ने यह भी कहा कि वह यह सम्मान किसी भी हालत में नहीं देंगे और अगर जरूरत पड़ी तो मानहानि का दावा करेंगे।
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वीर अब्दुल हमीद का साहसिक योगदान
धामूपुर के वीर सपूत अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया। उन्होंने पाकिस्तानी पैटन टैंकों को ध्वस्त कर युद्ध का रुख बदल दिया था। पाकिस्तान को अपने पैटन टैंकों पर इतना घमंड था कि वह दिल्ली तक पहुंचने का दावा कर रहा था, लेकिन अब्दुल हमीद ने आईसीएल गन से 12 से ज्यादा टैंकों को नष्ट कर दिया। इस वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।
जयंती के मौके पर होना है समारोह
1 जुलाई को वीर अब्दुल हमीद की जयंती मनाई जाएगी। इस अवसर पर उनके योगदान को याद किया जाएगा और उनके साहसिक कार्यों से प्रेरणा लेने की अपील की जाएगी। लेकिन इस समारोह से पहले ही परमवीर चक्र के रखरखाव और उसके हक को लेकर विवाद सामने आ गया है।
परमवीर चक्र सम्मान का महत्व
परमवीर चक्र, भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है, जो वीरता के अद्वितीय कार्यों के लिए दिया जाता है। इसे लेकर परिवार में विवाद न केवल शहीद की विरासत को प्रभावित करता है, बल्कि यह उस सम्मान की गरिमा पर भी सवाल उठाता है। इस विवाद का जल्द समाधान निकालना जरूरी है ताकि वीर अब्दुल हमीद की वीरता का सही तरीके से सम्मान हो सके और उनकी कहानी को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाया जा सके।
परिवार के बीच विवाद को बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए, ताकि शहीद की स्मृति को सम्मानपूर्वक बनाए रखा जा सके। वीर अब्दुल हमीद जैसे महानायक की जयंती के अवसर पर इस विवाद का उठना दुर्भाग्यपूर्ण है। शहीद के परिवार को मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालना चाहिए, ताकि उनकी शौर्य गाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहे।