Fact Check Unit: केंद्र सरकार द्वारा बीते दिन आईटी नियमों के तहत फैक्ट चेक यूनिट बनाने की नोटिफिकेशन जारी की थी, जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा कि ये यूनिट अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है. बता दे कि ये यह रोक तब तक के लिए लगाई गई है, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई ना कर ले.
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केंद्र सरकार ने जारी की थी अधिसूचना
बताते चले कि केंद्र सरकार ने बीते दिन पत्र सूचना कार्यालय के अंतर्गत फैक्ट चेक यूनिट बनाने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी. जिसके सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैक्ट चेक यूनिट के तौर पर काम करने की बात कही गई थी. फैक्ट चेक यूनिट के सोशल मीडिया में सरकार और सरकारी संस्थानों के खिलाफ फेक न्यूज को हाईलाइट करने की बात कही गई थी. ऐसा वो अपनी मर्जी या किसी की शिकायत के आधार पर कर सकती थी.
कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की 3 दलीलें?
- देश में सभी ऑनलाइन यूजर्स के लिए स्वतंत्र फैक्ट चेक यूनिट होनी चाहिए, जबकि केंद्र सरकार इसे सिर्फ अपने लिए लाई है, जो मनमाना है।
- फैक्ट चेक यूनिट क्या गलत है या क्या सही, ये साबित करने के लिए केंद्र के फैसले पर निर्भर नहीं हो सकता है।
- अगले महीने लोकसभा चुनाव होने हैं। केंद्र के लिए फैक्ट चेक यूनिट एक हथियार बन सकती है, जो मतदाताओं के लिए सिलेक्टिव कंटेट तय करेगी।
जारी अधिसूचना में क्या कहा गया?
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि फैक्ट चेक यूनिट सरकार की तरफ से फैक्ट चेक करने का काम करेगी. जिसमें वो फेसबुक, X या इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में किसी जानकारी को फेक या गलत बता सकती है. जिसके बाद ये प्लेटफॉर्म्स उस कॉटेंट या पोस्ट को हटाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होंगे. साथ ही इंटरनेट से उसका URL भी ब्लॉक करना होगा. ये फैक्ट चेक यूनिट सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन के बाद लाई गई थी.
क्यों हो रहा इसका विरोध?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इसका विरोध क्यों हो रहा है, तो आपको बता दे कि IT नियमों में संशोधन के खिलाफ कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि ये नियम असंवैधानिक हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ये भी कहा था कि फेक न्यूज तय करने की शक्तियां पूरी तरह से सरकार के हाथ में होना प्रेस की आजादी के विरोध में है.