निर्देशक शंकर की फिल्मों में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को प्रमुखता देने की एक निरंतर परंपरा रही है, और वह अपने दर्शकों को जटिल विषयों से अवगत कराते हुए मनोरंजन का अच्छा मिश्रण प्रस्तुत करते हैं। शंकर का अंदाज सिनेमा को बड़े पैमाने पर देखने का है, जिससे वह गंभीर मुद्दों को भी व्यावसायिक दृष्टिकोण से पेश करते हैं।
आपने सही कहा कि फिल्म का पहला भाग कर्कश और असंगत महसूस हो सकता है, और बाद में कहानी में कुछ रुचि बढ़ती है, लेकिन वह फिर भी अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाती। शंकर की फिल्मों से दर्शकों की अपेक्षाएं बहुत उच्च होती हैं, और जब वह इन अपेक्षाओं को पूरी तरह से नहीं पूरा कर पातीं, तो यह निराशा का कारण बनता है। हालांकि, फिर भी फिल्म का अपना एक अनुभव होता है, जो दर्शकों को आकर्षित कर सकता है, लेकिन यह फिल्म अपनी पूरी क्षमता को दिखाने में असफल रही, जैसा कि आपने कहा।

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कहानी में ताजगी की कमी
फिल्म में नायक राम नंदन की यात्रा काफी सामान्य और अपेक्षाकृत परिचित ढंग से दिखाई गई है। ऐसे संघर्षों और चुनौतियों का सामना करना, जो नायक को अपनी पहचान बनाने के लिए करना पड़ता है, एक स्थापित और पारंपरिक कथा तत्व है, जिसे हम कई फिल्मों में देख चुके हैं। इसमें कुछ नया या अलग करने की कोशिश नहीं दिखती, जिससे फिल्म की कहानी में ताजगी की कमी महसूस होती है।
कियारा का किरदार

दीपिका का किरदार, जिसे कियारा आडवाणी ने निभाया है, नायक के विकास में सहायक तो दिखाया गया है, लेकिन उसका चित्रण अपेक्षाकृत सीमित और सतही लगता है। उसका किरदार मुख्यत, गाने और रोमांटिक दृश्यों तक सीमित रहता है, जो कि फिल्म के मुख्य कथानक और एक्शन से मेल नहीं खाता। इस तरह से, उसका किरदार फिल्म के अन्य हिस्सों से बाहर और थोड़ी असंगत लगता है, जिससे दर्शक को यह महसूस हो सकता है कि उसका रोल फिल्म में महत्त्वपूर्ण नहीं है या उसे बेहतर तरीके से विकसित किया जा सकता था।
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फिल्म का कमजोर पहलू

फिल्म का सबसे कमजोर पहलू यही है कि यह कुछ नया पेश नहीं करती। राजनीतिक भ्रष्टाचार और चुनावी सुधार जैसे मुद्दे भारतीय सिनेमा में अक्सर देखने को मिलते हैं, लेकिन “Game Changer” में इन मुद्दों का प्रस्तुतिकरण न तो ताजगी प्रदान करता है और न ही दर्शकों को प्रेरित करता है। इसके बजाय, यह मुद्दे केवल एक साधारण तरीके से उठाए गए हैं, जो पहले से ही फिल्मों में कई बार देखे जा चुके हैं।
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कहानी गंभीर और राजनीतिक दृष्टिकोण

फिल्म के हास्य तत्व भी एक बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आते हैं। जब कहानी गंभीर और राजनीतिक दृष्टिकोण से जुड़ी होती है, तो हास्य का अप्रत्याशित और अपरिपक्व इस्तेमाल उस गंभीरता को हटा देता है और फिल्म के स्वर को हल्का बना देता है। यह स्थिति दर्शकों को विचलित कर सकती है और फिल्म की प्रभावशीलता को कम कर सकती है।फिल्म के एक्शन सीन और तत्व निश्चित रूप से एक्शन प्रेमियों के लिए आकर्षक हो सकते हैं।
राम चरण के एक्शन में ऊर्जा और स्टार पावर है, लेकिन यदि आप ऐसे दर्शक हैं जो केवल गहरी और सार्थक कहानी की तलाश में हैं, तो यह फिल्म उतनी प्रभावशाली नहीं लगेगी। “Game Changer” एक एक्शन-प्रधान फिल्म है, जो विशेष रूप से उस प्रकार के सिनेमा को पसंद करने वाले दर्शकों के लिए बनाई गई है। हालांकि, यदि इसे व्यापक दर्शक वर्ग की दृष्टि से देखा जाए, तो यह फिल्म अधिक प्रभावशाली नहीं साबित होती।