Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए किसानों के लिए कृषि के साथ – साथ दुग्ध उत्पादन में तेजी से बढ़ाने का कार्य कर रही है। भूपेश बघेल ने कहा कि कृषि के साथ- साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए शासन की नीतियों की वजह से प्रदेश में दूध उत्पादन तेजी से बढ़ा है। पशुपालन को बढ़ावा देने से खेती किसानी की तरक्की होती है। और किसानों की तरक्की पर ही व्यापार-व्यवसाय की तरक्की निर्भर है। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की नवाचारी योजनाओं और इनके क्रियान्वयन से आर्थिक विकास का बेहतर माहौल तैयार हुआ है।
कृषि क्षेत्र के साथ पशुधन उत्पादन किसानों की दूसरी आय
छत्तीसगढ़ के किसान पशुधन संपदा से समृद्ध है। कृषि क्षेत्र के उत्पादन के मूल्य में पशुधन क्षेत्र का योगदान लगभग 23 फीसदी है। अधिकांश ग्रामीण परिवारों के पास पशुधन की एक या दूसरी प्रजाति है। भूमि की तुलना में पशुधन जोत का वितरण अधिक न्यायसंगत है, यह दर्शाता है कि गरीबों के पास फसल उत्पादन की तुलना में पशुधन उत्पादन में अधिक अवसर है। छत्तीसगढ़ के किसान कृषि के साथ भैंस- गायों का पालन करते है। इसके साथ ही किसान दुग्ध उत्पादन से उनकी अच्छी आय बनी रहेगी। इसी वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कृषि के साथ ही पशुधन को बढ़ावा देने के लिए भूपेश सरकार ने सराहनीय कार्य किए है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में शामिल हुए सीएम बघेल
प्रदेश में ग्रामीण विकास की नवाचारी योजनाओं और इनके क्रियान्वयन से आर्थिक विकास का बेहतर माहौल तैयार हुआ है। यह बात सीएम भूपेश बघेल ने जिला मुख्यालय दुर्ग के पुराना बस स्टैंड में कोसरिया यादव महासभा द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शोभायात्रा कार्यक्रम में कही। सीएम बघेल ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर शोभा यात्रा में शामिल लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
कोसरिया यादव समाज दुर्ग के अध्यक्ष बोधन यादव ने स्वागत भाषण में समाज की विभिन्न मांगों की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट किया। कार्यक्रम में दुर्ग विधायक अरुण वोरा, भिलाई विधायक देवेन्द्र यादव, दुर्ग महापौर धीरज बाकलीवाल एवं कोसरिया यादव समाज के अन्य पदाधिकारी तथा समाज के सदस्य उपस्थित थे।
नेशनल डेयरी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में दूध उत्पादन बड़ा
प्रदेश में गौवंशीय पशुओं की संख्या पर गौर करें तो 20वीं पशु संगणना के मुताबिक इनकी संख्यी करीब 99. 84 लाख है। अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में गायों की संख्या 1 करोड़ से भी ऊपर हो चुकी है। 20वीं पशु संगणना वर्ष 2019 में की गई थी। यह हर पांच वर्ष में होती है। राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे नरवा, गरवा, घुरूवा, बाड़ी प्रोजेक्ट का असर भी दूध उत्पादन में देखा जा रहा है।
वर्तमान में गायों के अलावा अन्य दुधारू पशुओं की संख्या पर गौर करें तो इनकी संख्या 1.58 करोड़ है। नेशनल डेयरी बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भी छत्तीसगढ़ में दूध का उत्पादन बढ़ा है। हालांकि राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति 406 ग्राम दूध की उपलब्धता के मामले में प्रदेश के पीछे हैं। वर्तमान में यह उपलब्धता 105 ग्राम से बढ़कर 159 ग्राम पहुंच चुकी है।
प्रदेश के किसानों की आय मे हो रही वृध्दि
छत्तीसगढ़ में किसानों की कृषि के आय के साथ- साथ दुग्ध उत्पादन से आय बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे- छोटे किसानों का दबदबा है। छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि के साथ, पशुधन उत्पादों की खपत पिछले दशक में खाद्यान्नों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ी है। जिसने पशुधन और कुक्कुट उत्पादों के लिए बाजार के रुझान को सुगम बनाया है।
पशुपालन में क्रांतिकारी परिवर्तन, छोटे पशुपालकों को गरीबी एवं कुपोषण से मुक्ति तथा बाजार अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा से जुड़कर आर्थिक विकास में सहायक होगा। इसे सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट पशुधन विकास एवं प्रजनन नीति का सृजन किया गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में लगभग 73 प्रतिशत भूमि जोत करीब 2 हेक्टेयर से कम है। जिसका क्षेत्रफल करीब 36 प्रतिशत तक है।