Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी जिले से एक खबर सामने आ रही हैं जहां पर एक बड़ा हादसा हो गया हैं। नवयुगा कंपनी की निर्माणाधीन टनल 50 मीटर हिस्सा सिलक्यारा से डंडालगांव तक धंस गया हैं। जिसमें 40 मजदूर फंस गए हैं। निर्माणाधीन टनल का 50 मीटर का हिस्सा अचानक धंस गया। जिसकी वजह से वहां पर काम कर रहे मजदूर मलबे के अंदर दब गए। जिसकी सूचनम मिलने पर टनल के अंदर फंसे सभी मजदूरों को बाहर निकाले के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी हैं।
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राज्य के सीएम घटना स्थल पर पहुंचे
पूरी घटना का जायजा लेने के लिए राज्य के सीएम घटना स्थल पर पहुंचे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी-यमनोत्री मार्ग पर स्थित सिलक्यारा सुरंग में हुए भूमि धंसाव का स्थलीय निरीक्षण किया। सीएम धामी कल से चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा करने सिलक्यारा पहुंचे हैं।
एसपी अर्पण यदुवंशी ने बताया
पूरी घटना के बारे में एसपी अर्पण यदुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि टनल के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित है साथ ही उनके पास ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं। अंदर फंसे मजदूरों के लिए एक ऑक्सीजन पाइप टनल के अंदर पहुंचाई गई है। एसपी ने बताया कि पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, 108 इमरजेंसी सेवा, फायर सर्विस के कर्मियों द्वारा राहत व बचाव कार्य तेजी से किया जा रहा है।
200 मीटर की दूरी पर भूस्खलन
मिली कुछ जानकारी के अनुसार निर्माणाधीन टनल में सिलक्यारा की तरफ से सुरंग के मुख्य द्वार से करीब 200 मीटर की दूरी पर भूस्खलन हुआ जिसके कारण काम कर रहे सभी मजदूर अंदर फंस गए हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि जो मजदूर सुरंग में काम कर रहे थे वे सभी फिलहाल 2800 मीटर अंदर मौजूद हैं।
फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी के माध्यम से की बात
आपको बताते चले कि टनल के अंदर फंसे मजदूरों से वॉकी-टॉकी के माध्यम से बात की गई जिसमें मजदूरों ने बताया कि वे सुरक्षित हैं। जो भी मजदूर अंदर फंसे हुए हैं उन्होंने खाने की मांग की थी। जिसको सुनते हुए प्रशासन ने टनल में पानी की आपूर्ति के लिए बिछी पाइपलाइन के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए रात में खाने के लिए कुछ पैकेट कंप्रेसर के जरिए दबाव बनाकर टनल में फंसे मजदूरों तक भेजे गए हैं।
राहत और बचाव अभियान
वहीं सुरंग के अंदर पाइपलाइन राहत और बचाव अभियान में काफी मददगार साबित हो रही है। इसी पाइपलाइन के जरिए मजदूरों से कम्युनिकेशन स्थापित करने का काम भी लिया जा रहा है। पहले टनल में फंसे मजदूर तक संदेश भेजने के लिए कागज पर लिखे संदेश की पर्ची पाइपलाइन के जरिए भेजी गई थी। बाद में खाने के लिए चने के पैकेट भी इसी पाइपलाइन के जरिए भेजे गए।