भारत का महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है, जिसमें न केवल धार्मिक आस्थाएँ जुड़ी होती हैं, बल्कि इसमें लाखों-करोड़ों लोगों की उपस्थिति और महत्वपूर्ण बयानबाज़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। महाकुंभ 2025 के संदर्भ में इस बार एक नया मुद्दा उठ खड़ा हुआ है, जो केवल धार्मिक नहीं बल्कि समाज और शिक्षा के क्षेत्र में भी चर्चा का कारण बन गया है। दरअसल, इस बार महाकुंभ के आयोजन स्थल पर एक बयान सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

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IIT सीट पर बाबा अभय सिंह का बयान
महाकुंभ 2025 के एक बड़े धार्मिक सम्मेलन में भाग लेने के दौरान बाबा अभय सिंह ने एक बयान दिया, जिसने हर किसी को चौंका दिया। उनका कहना था, “आईआईटी की एक सीट खा गए आप तो?” बाबा अभय सिंह ने यह बयान कुछ इस तरह दिया कि उन्होंने शिक्षा और धार्मिक आयोजनों के बीच एक नया संबंध स्थापित करने की कोशिश की।
आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) जैसी प्रतिष्ठित संस्था की एक सीट की कीमत को लेकर यह सवाल उठाना, एक तरह से यह संकेत देने का प्रयास था कि आज के समाज में शिक्षा और धार्मिक आस्थाओं के बीच एक स्पष्ट अंतर मौजूद है। बाबा अभय सिंह ने इस संदर्भ में यह भी कहा कि “आध्यात्मिकता और शिक्षा दोनों का अपना महत्व है, लेकिन आजकल के युवा धार्मिक गतिविधियों के प्रति कम और विज्ञान की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।”
बाबा अभय सिंह का समाज के प्रति दृष्टिकोण
बाबा अभय सिंह ने इस मौके पर समाज के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “हमारे समाज में आजकल यह भ्रम फैल गया है कि शिक्षा और आध्यात्मिकता में कोई तालमेल नहीं हो सकता। यदि एक व्यक्ति जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है, तो उसे शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करनी चाहिए, न कि केवल धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में समय बर्बाद करना चाहिए।”

हमारे युवा पीढ़ी के बीच यह खाई
बाबा अभय सिंह ने यह भी जोड़ा, “हमारे युवा पीढ़ी के बीच यह खाई बनती जा रही है, जहां पर एक तरफ वे आईआईटी जैसे संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए जी-जान से मेहनत करते हैं, वहीं दूसरी ओर उनका ध्यान कभी-कभी आध्यात्मिकता और साधना की ओर नहीं जाता।”उनका मानना था कि धार्मिक साधना और शिक्षा दोनों का संतुलन एक व्यक्ति की सफलता के लिए जरूरी है। बाबा ने महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों के बीच शिक्षा और आध्यात्मिकता को जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने युवाओं से यह अपील की कि वे अपनी शिक्षा के साथ-साथ अपने आत्मिक विकास पर भी ध्यान दें, ताकि वे एक बेहतर इंसान बन सकें।
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छात्रों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा

आईआईटी की सीटों के बारे में बाबा अभय सिंह का बयान एक तरह से आजकल के छात्रों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा को लेकर था। आईआईटी में प्रवेश की प्रतिस्पर्धा और उसके साथ ही समाज में शिक्षा का बढ़ता महत्व, यह सब आज के समय में एक जटिल मुद्दा बन चुका है।भारत में आईआईटी, जो कि दुनिया के सबसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों में से एक माना जाता है, में प्रवेश के लिए लाखों छात्र हर साल संघर्ष करते हैं। यहां की एक सीट पाने के लिए छात्रों को ना केवल कड़ी मेहनत करनी होती है, बल्कि यह एक सपना बन जाता है।बाबा अभय सिंह का यह बयान इस संदर्भ में आया, जब उन्होंने देखा कि छात्र एक ओर जहां शिक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिकता और धार्मिक विचारों को लेकर उनका दृष्टिकोण बदलता जा रहा है।
महाकुंभ और युवा पीढ़ी की भूमिका
महाकुंभ 2025 के आयोजन में, जो कि भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, बाबा अभय सिंह का बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि वे युवाओं से अपील कर रहे थे कि वे सिर्फ शैक्षिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक क्षेत्र में भी अपनी सफलता की ओर ध्यान दें।
उन्होंने युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया कि अगर वे केवल विज्ञान और तकनीकी शिक्षा में ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य पहलुओं में भी आगे बढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति भी सम्मान रखना चाहिए। बाबा ने यह भी कहा, “हमारी युवा पीढ़ी को यह समझना चाहिए कि शिक्षा से साथ-साथ आत्मिक विकास भी जरूरी है। जब तक एक व्यक्ति का जीवन दोनों क्षेत्रों में संतुलित नहीं होगा, तब तक वह पूरी तरह से सफल नहीं हो सकता।”

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समाज में शिक्षा और धार्मिकता का संतुलन
आज के समय में शिक्षा और धार्मिकता के बीच संतुलन की आवश्यकता को महसूस करना बेहद महत्वपूर्ण है। बाबा अभय सिंह का यह बयान इस बात को उजागर करता है कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता है, जहां पर लोग अपने जीवन को केवल भौतिक दृष्टिकोण से न देखें, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अपने जीवन को देखे।उनका यह विचार समाज के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहां एक व्यक्ति न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है, बल्कि आत्मिक शांति और धार्मिकता के रास्ते पर भी चल सकता है।