Bijnor Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव का चुनावी बिगुल बज चुका है. यूपी में चुनावी तैयारियां तेज हो गई है. हर एक दल अपनी धाक जमाने के लिए यहां पर दांव खेल में जुटा हुआ है. ऐसे में प्राइम टीवा यूपी की कुछ लोकसभा सीटों से आपका परिचय करा रही है. चुनाव यात्रा में आज बात एक ऐसी सुरक्षित हाई प्रोफाइल सीट की है. जहां देश के तमाम बड़े दलित नेता अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. इसके खास जातीय समीकरण की वजह से हर बड़ा दलित नेता यहीं से चुनाव लड़कर खुद को स्थापित करने की कोशिश करता है. सियासी नजरिये से ये सीट अहम तो है ही. एतिहासिक दृष्टिकोण से भी ये बेहद महत्वपूर्ण है. कौन सी है ये सीट क्या है इसका इतिहास और भूगोल.क्यों ये सीट सियासी और एतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है.
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बिजनौर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी रण
गंगा और मालन नदी के बीच में बसा हुआ है बिजनौर. ये यूपी का वो सीमाई जिला में से है जिसकी सरहद उत्तराखंड से कई छोर पर लगती है.इसके एक तरफ हरिद्वार है तो दूसरी तरफ कोटद्वार और तीसरी तरफ काशीपुर है. इसका ज्यादातर हिस्सा तराई बेल्ट में आता है. बिजनौर के रूप में इसकी स्थापना 1817 में हुई. इसका पहले मुख्यालय नगीना बनाया गया था. उसके बाद इसका मुख्यालय झालू बनाने की कोशिश की गई लेकिन यह रणनीति परवान नहीं चढ़ सकी.
इस सीट पर कब किसका रहा राज
बिजनौर लोकसभा सीट ने कई दिग्गजों को संसद तक पहुंचाया है. मायावती और मीरा कुमार पहली बार संसद बिजनौर लोकसभा सीट से ही पहुंचे थे. अब तक यहां हुए 17 लोकसभा चुनावों में पांच बार कांग्रेस तो चार बार बीजेपी का कब्जा रहा है. रालोद ने दो बार और सपा- बसपा ने एक-एक बार मेरे यहां परचम लहराया हैं. 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने फिर मेरे यहां कब्जा जमाया.इस बार भाजपा के भारतेंद्र सिंह पहली बार सांसद बने.उन्होंने सपा के शाहनवाज राना को चुनाव में पटकनी दी.2019 में सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार बसपा के मलूकनागर ने जीत हासिल की और 2019 से वो मेरा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
भाजपा आने से बदल गए चुनावी समीकरण
बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में यूपी विधानसभा की 5 सीटें आती हैं जिनमें बिजनौर, पुरकाजी, चांदपुर, हस्तिनापुर और मीरापुर शामिल हैं.इनमें से दो-दो सीटें मुजफ्फरनगर और बिजनौर की.जबकि 1 सीट मेरठ जिले में आती है.इनमें मुजफ्फरनगर की पुरकाजी और मेरठ की हस्तिनापुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 2022 के विधानसभा चुनावों में इनमें से तीन सीटों पर रालोद और सपा का गठबंधन काबिज था.लेकिन रालोद के इस बार बीजेपी के साथ जाने से यहां के चुनावी समीकरण बदल चुके हैं. यहां के समीकरण की बात करें तो राम मंदिर आंदोलन के बाद से भाजपा की सीटों में लगातार वृद्धि हो रही है. बात की जाए सियासी समीकरणों की तो एक अनुमान के मुताबिक मुस्लिम और गुर्जर बड़ी संख्या में है.
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बिजनौर का चुनावी समीकरण
- मुस्लिम- 1 लाख 35 हजार लगभग
- गुर्जर- 1 लाख लगभग
- दलित- 80 हजार लगभग
- सैनी- 25 हजार लगभग
- जाट- 10 हजार लगभग
- कश्यप- 9 हजार लगभग
- चौहान- 9 हजार लगभग
बिजनौर लोकसभा सीट— 2014
- कुंवर भारतेंद्र
- बीजेपी
- 485625 वोट
- 45.9 प्रतिशत
- शहनवाज राणा
- सपा
- 280957 वोट
- 26.6 प्रतिशत
बिजनौर लोकसभा सीट—2019
- मालूक नागर
- बसपा
- 559824 वोट
- 51.3 प्रतिशत
- राजा भारतेंद्र सिंह
- बीजेपी
- 488061 वोट
- 44.7 प्रतिशत
ये आंकड़े पुराने नतीजों को भले ही दर्शा रहे हो लेकिन इस बार के समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं. इस बारी आरएलडी और बीजेपी साथ लड़ रही है. ऐसे में पश्चिम के समीकरम बीजेपी के पक्ष में ज्यादा झुकते हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में यहां से किसके सिर जीत का ताज सजेगा ये तो आगामी चुनाव में पता चलेगा.
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