Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly elections) में महायुति (Mahayuti) की जीत के बाद ईवीएम का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है चुनाव नतीजे में बीजेपी को मिली रिकॉर्ड सीटों के बाद कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल एक बार फिर से ईवीएम में गड़बड़ी होने का आरोप लगा रहे हैं।इस बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) में सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आढाव भी निष्पक्ष चुनाव की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आढाव ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा,कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों से विधानसभा चुनाव परिणामों से बिल्कुल अलग हैं।
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उद्धव ठाकरे के आश्वासन पर बाबा आढाव ने खत्म किया अनशन

बाबा आढाव ने हालांकि शिवसेना (यूबीटी) चीफ उद्धव ठाकरे से मुलाकात और उनके आश्वासन दिए जाने के बाद आमरण अनशन समाप्त कर दिया उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने बाबा आढाव (Baba Adhav) को ईवीएम को लेकर बड़ा आंदोलन करने का आश्वासन दिया जिसके बाद उन्होंने अनशन समाप्त कर दिया।इससे पहले अजित पवार भी बाबा आढाव से आमरण अनशन को समाप्त करने की अपील के लिए पुणे पहुंचे थे उन्होंने विपक्ष के द्वारा चुनाव परिणामों को लेकर उठाए सवालों को खारिज करते हुए कहा,विधानसभा चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को 31 सीटें मिली जबकि महायुति को 17 सीटें ही मिलीं उस समय हमने ईवीएम पर सवाल नहीं उठाए और जनादेश को स्वीकार कर लिया।
अजित पवार ने भी की बाबा आढाव से मुलाकात

अजित पवार (Ajit Pawar) ने विपक्ष द्वारा चुनाव परिणामों पर सवाल उठाए जाने पर कहा,विधानसभा चुनाव में अगर जनता ने अपना मन बदल लिया और महायुति का समर्थन किया तो इसमें गलत क्या है? अजित पवार ने बाबा आढाव (Baba Adhav) के आमरण अनशन को लेकर कहा,ईवीएम मामले पर चर्चा करना गलत नहीं है भारत एक लोकतांत्रिक देश है इस नाते हम किसी भी मुद्दे पर बहस कर सकते हैं अगर आपके पास समाधान है तो सुप्रीमकोर्ट भी जा सकते हैं लेकिन सुप्रीमकोर्ट (Supreme Court) ने भी ईवीएम को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया।विपक्ष के ऊपर निशाना साधते हुए अजित पवार ने कहा विपक्ष की जब जीत होती है तो उन्हें ईवीएम में कोई गड़बड़ी नजर नहीं आती है लेकिन हारते ही उन्हें ईवीएम में दोष नजर आने लगता है।
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1952 में पहली बार बाबा आढाव ने किया था सत्याग्रह

बाबा आढाव (Baba Adhav) के बारे में आपको बताएं तो सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आढाव का जन्म 1 जून 1930 को पुणे में हुआ 1952 में उन्होंने पहली बार खाद्य मूल्य बढ़ोत्तरी के खिलाफ सत्याग्रह किया इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा 1972 में महाराष्ट्र (Maharashtra) में जब भयंकर सूखा पड़ा तो बाबा आढाव ने एक गांव एक जल आंदोलन की शुरुआत की।बाबा आढाव ने महाराष्ट्र में कई सामाजिक इतिहास विषयों पर शोध किया है इसके लिए उन्हें कई प्रसिद्ध संगठनों के पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।
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