Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) और उनकी बहन वाईएस शर्मिला ( YS Sharmila) के बीच संपत्ति को लेकर झगड़ा एक हाई-प्रोफाइल कानूनी लड़ाई में तब्दील हो गया है। जगन मोहन रेड्डी ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में अपनी बहन और आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि शर्मिला ने उनके और उनकी पत्नी भारती के शेयरों को अवैध रूप से अपने और अपनी मां विजयम्मा के नाम पर स्थानांतरित कर दिया है।
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राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से गरमाया मामला
यह विवाद तब और गहरा गया है जब जगन मोहन रेड्डी और शर्मिला के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बढ़ती जा रही है। जनवरी 2023 में शर्मिला के कांग्रेस में शामिल होने और अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना का विलय कांग्रेस में करने के बाद दोनों के बीच संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए हैं। शर्मिला ने स्पष्ट किया है कि “जगत मोहन रेड्डी पारिवारिक संपत्तियों के अकेले उत्तराधिकारी नहीं हैं।” इसके बाद इस आग को और हवा तब मिली जब हाल ही में शर्मिला ने तेलुगु दैनिक ‘साक्षी’ में प्रकाशित रिपोर्ट के जवाब में एक खुला पत्र लिखा है।
उन्होंने उस पत्र में कहा कि उनके पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “इन संपत्तियों को चार पोते-पोतियों के बीच समान रूप से बांटने की जिम्मेदारी जगन मोहन रेड्डी की है।” इसके आगे उन्होंने कहा कि कि तथ्यों से हेरफेर की गई है और सच्चाई को छिपाने का प्रयास किया गया है। मगर तथ्य सभी के सामने प्रस्तुत करना यह उनका कर्तव्य है।
संपत्ति बंटवारे को लिखे कई पत्र
शर्मिला ने आगे बताया कि जगन मोहन रेड्डी के द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और उन्होंने सचाई को छिपाने का प्रयास किया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मां विजयम्मा ने संपत्ति के बंटवारे को लेकर सैकड़ों पत्र लिखे हैं, लेकिन उनके बच्चों को अभी तक कानूनी रूप से हकदार मान कर हिस्से नहीं मिले हैं। शर्मिला ने 2009 से 2019 के बीच 200 करोड़ रुपये देने के दावे पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उस समय जगन मोहन रेड्डी एक अलग इंसान थे और 10 साल में मिलने वाले लाभांश का आधा हिस्सा पारिवारिक संपत्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा- “यह कोई एहसान या उपहार नहीं है,”
सीएम बनने के बाद आ गया बदलाव
शर्मिला ने कहा कि 2019 में सीएम बनने के बाद जगन मोहन रेड्डी ने परिवार को अलग करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि संपत्तियों का बंटवारा बहुत जल्दी तय किया गया था और उन्हें कई संपत्तियों में हिस्सेदारी मिली। मात्र आधे घंटे के भीतर ही सब साफ हो गया कि कौन सी संपत्ति किसके पास रहेगी? साक्षी में 40 %, भारती सीमेंट्स में 40%, सरस्वती पावर में 100 %, येलहंका संपत्ति में 100% और दिवंगत वाईएसआर के आवास के साथ ही अन्य संपत्तियों में मुझे हिस्सेदारी मिली।
इन सबके बाद में एक समझौता (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे। शर्मिला ने कहा कि जगन चाहते थे कि वह उन पर कटाक्ष करना बंद कर दें। जब मैंने ऐसा नहीं किया तो जगन रेड्डी ने मेरे और मेरी मां के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में हमारे खिलाफ मामला दर्ज करा दिया और यह भी आरोप लगाया कि सरस्वती पावर में धोखाधड़ी से शेयर हासिल किए हैं।
‘वाईएसआर परिवार की गरिमा बनाए रखना चाहती थी’ : शर्मिला
शर्मिला ने यह भी कहा कि उनके पास एक भी संपत्ति नहीं है, जबकि एमओयू पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। उन्होंने आगे कहा कि “मैंने कभी मीडिया को इस बारे में नहीं बताया और न ही कानून का दरवाजा खटखटाया।” उन्होंने अपने प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि वे परिवार और वाईएसआर की गरिमा को बनाए रखने का पूरा प्रयास कर रही हैं। इस तरह, वाईएस जगन मोहन रेड्डी और वाईएस शर्मिला के बीच संपत्ति विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। यह लड़ाई केवल पारिवारिक मुद्दों पर ही नहीं है आखिर झगड़े किस घर में नहीं होती है मगर यह मुद्दा आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी एक नई हलचल पैदा कर रहा है। अब देखना यह है कि इस कानूनी लड़ाई का अंत कैसे होता है और क्या परिवार में फिर से एकता लौटेगी या यह विवाद आगे और भी गहराता जाएगा।
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