Photo gallery : UP की राजधानी लखनऊ के मोहन रोड पर स्यित बुद्धेश्वर मंदिर में करीब 17 सौ साल से भगवान शिव का श्रृंगार मंदिर में होता आ रहा है। इसके अलावा यहां रोजाना चार बार आरती होती है, साथ ही इस मंदिर में बाबा का श्रृंगार रात में आरती के पहले होता है। बता दें कि इस मंदिर की अपने आप में ही एक अलग मान्यता है। वहीं यहां पर सोमवार को नहीं, बल्कि बुधवार को महादेव भक्तों की कतार लगती है। बता दे कि यहां बुधवार को भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है।
लखनऊ के मोहान रोड पर स्थित श्री बुद्धेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई कथाएं हैं। वहीं ऐसी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ ने जब भस्मासुर को वरदान दिया था और वह भगवान शिव पर ही वरदान आजमाना चाहता था तो देवों के देव यहीं आए थे।
श्री बुद्धेश्वर महादेव मंदिर मे करीब 17 सौ साल से भगवान शिव का श्रृंगार इस मंदिर में होता है आ रहा है, साथ ही यहां के पुजारियों कहना है की भगवान हनुमान के रूप में प्रत्येक दिन श्रृंगार होने के बाद से मंदिर परिसर में वानर आता है,और वो वहां सबसे पहले बाबा परशुराम के दर्शन करते हैं। इसके बाद बुद्धेश्वर बाबा के दंडवत प्रणाम कर प्रसाद ग्रहण करके चुपचाप वापस चले जाते हैं।
बुद्धेश्वर महादेव मंदिर की अपने आप में ही एक अलग मान्यता है। बता दे कि यहां पर सोमवार को नहीं, बल्कि बुधवार को महादेव भक्तों की कतार लगती है। यहां बुधवार को भगवान शिव का विशेष पूजन होने के साथ – साथ बाबा का विशेष श्रृंगार भी होता है।
इस मंदिर के पुजारी के मुताबिक, यहां जो शिव लिंग है, उसे किसी ने स्थापित नहीं किया है, बल्कि वो स्वयंभू है , इसके अलावा कहा जाता है कि इस शिवलिंग पर सीता मां और लक्ष्मण जी ने स्वयं जल चढ़ाया है।
महादेव मंदिर की सबसे अनोखी बात यह भी है कि हर मंदिर में बाबा का श्रृंगार सुबह-सुबह होता है, लेकिन इस मंदिर में बाबा का श्रृंगार रात में शयन आरती के पहले किया जाता है।
यहां श्रृंगार प्रतिदिन नए स्वरूप में किया जाता है और श्रृंगार के लिए बेसन, मैदा और सजावट के लिए ताजे फूलो का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही विशेष पूजन के साथ- साथ विशेष श्रृंगार भी किया जाता है।
रोजाना इस मंदिर में दिन भर में चार आरतियां किया जाता हैं, जिसमें सुबह की आरती से बाबा को जगाया जाता है और रात की शयन आरती से बाबा को सुलाया जाता है।
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मंदिर में रोजाना दोनों द्वार को भी भव्य रूप से सजाया जाता है। वहीं एक द्वार पर राम का नाम तो दूसरे द्वार पर स्वास्तिक बनाया जाता है।