Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के लिए लोकसभा चुनाव से पहले CBI ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. आज CBI ने अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए बुलाया था.लेकिन आज वे CBI के सामने पेश नहीं होंगे. सीबीआई ने बतौर गवाह के रुप में गुरुवार को अखिलेश यादव को पेश होने के लिए कहा था.ये पूरा मामला सपा सरकार में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए अवैध खनन से जुड़ा हुआ है.
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अखिलेश यादव ने दिया जवाब..
CBI द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब देते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जांच में सहयोग करने की बात कही है. साथ ही उन्होंने चुनाव से पहले नोटिस दिए जाने पर भी सवाल उठाया है. अखिलेश यादव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की बात कही है. अखिलेश यादव ने समन को लेकर सवाल किया कि 2019 के बाद यानि पिछले 5 सालों में कोई जानकारी क्यों नहीं मांगी गई?
इसी कड़ी में उन्होंने आगे कहा कि, ‘CBI की तरफ से जो कागज आया था, उसका जवाब मैं दे चुका हूं. पुलिस भर्ती का बड़ा-बड़ा दावा किया गया था. पेपर लीक हो गया. सरकार ने जानबुझकर पेपर लीक कराया है क्योंकि उनकी नीयत नहीं है नौकरी देने की.’
क्या बोली डिंपल यादव?
सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने सीबीआई के समन को लेकर कहा कि अखिलेश यादव पर दबाव बनाया जा रहा है. राज्यसभा के चुनाव से सरकार घबराई हुई है. बताते चले कि आज सपा मुखिया अखिलेश यादव को दिल्ली जाकर अपना बयान दर्ज कराना था, लेकिन सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार आज अखिलेश यादव सीबीआई के सामने पेश नहीं होंगे.
क्या था पूरा मामला?
आपको बता दें कि,साल 2012-13 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए खनन विभाग उनके पास था.उस समय सपा सरकार के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के ऊपर अवैध खनन को लेकर गंभीर आरोप लगे थे.2016 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का नाम सामने आया था.इसके अलावा सपा सरकार के कार्यकाल में कई जिलों में बतौर जिलाधिकारी रही बी चंद्रकला पर भी अवैध खनन मामले में आरोप लगे थे इस संबंध में उनके यहां छापेमारी भी हो चुकी है.
बी चंद्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी
आपको बता दें कि,अखिलेश यादव की सरकार में बी चंद्रकला हमीरपुर की डीएम थी .उन पर आरोप है कि,जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर में 50 मौरंग खनन के पट्टे किए गए थे.ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी चंद्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी.साल 2015 में अवैध रुप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 50 मौरंग खनन के पट्टों को अवैध घोषित करते हुए रद्द कर दिया था.हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद हमीरपुर में बड़ी मात्रा में खनन लगातार जारी रहा था।