- सुल्तानपुर जेल में अमेठी के 2 बंदियों की हुई थी हत्या
- 6 माह बाद ज्यूडिशियल जांच रिपोर्ट से मचा हड़कंप,
- पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने जेल प्रशासन पर FIR दर्ज करने की उठाई मांग
सुल्तानपुर संवाददाता- आशुतोष श्रीवास्तव
Sultanpur: दलित समुदाय के दो बंदियों की सुल्तानपुर जेल में मौत का मामला छह माह बाद बाहर निकल आया है। CJM सपना त्रिपाठी की जांच रिपोर्ट में सुसाइड की बात को नकारते हुए बंदियों की हत्या किए जाने की पुष्टि की गई है। जेल प्रशासन को दोषी मांगा गया है। दिसंबर माह में आई इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेकर शासन ने दोषियों पर कार्रवाई नहीं की। अब आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने जेल प्रशासन पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
अमेठी के जामो थाना अंतर्गत लोरिकपुर गांव में 26 मई की रात चौधरी का पुरवा लोरिकपुर निवासी मुर्गी फार्म संचालक ओम प्रकाश यादव की धारदार हथियार से हत्या हुई। इस मामले में 30 मई को लोरिकपुर गांव निवासी करिया उर्फ विजय पासी (20) व मन्नू रैदास (18) कोर्ट से जेल भेजे गए थे। 21 जून की शाम सुल्तानपुर जेल के अंदर पेड़ से दोनों की लटकती हुई लाश मिली थी। 22 जून को गांव में ही दोनों का अंतिम संस्कार हुआ था। परिवार वालों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था। बीते 28 जून को जेल अधीक्षक उमेश सिंह का तबादला करके उन्हें केंद्रीय कारागार वाराणसी भेजा गया था, वही प्रभारी अधिष्ठान अयोध्या मंडल ने जेल में तैनात दो हेड जेल वार्डर धीरज चौबे और चंद्रशेखर को निलंबित किया था। तत्कालीन डीएम जसजीत कौर ने इस मामले में ज्यूडिशियल जांच बिठाई थी। जिसमें CJM सपना त्रिपाठी, SDM सदर सीपी पाठक व CO सिटी राघवेंद्र चतुर्वेदी जांच कर रहे थे।
CJM सपना त्रिपाठी ने 2 दिसंबर को 24 पन्ने की अपनी जांच रिपोर्ट डिस्ट्रिक्ट जज को भेजा है, उन्होंने 20 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। इसमें 4 विचाराधीन बंदी, एक दोष सिद्ध बंदी, 3 हेड जेल वार्डर, 2 जेल वार्डर, मृतक मनोज के माता-पिता, मृतक विजय पासी के भाई और रिश्तेदार, 2 जेल प्रभारी महिला, एक उप जेलर महिला, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सुनील और डॉक्टर राम धीरेंद्र एवं तत्कालीन जेल अधीक्षक उमेश सिंह के बयान दर्ज किए हैं।
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एक समय पर नहीं हुई थी दोनों बंदियों की मौतें
डॉक्टर राम धीरेंद्र के अनुसार 22 जून को करिया पासी का सुबह 9:30 से 11:30 बजे तक पोस्टमार्टम चला। मस्तिष्क, फेफड़े और लीवर कंजस्टेड थे। दाहिने नाक से खून बह रहा था। आंखें व जननांग सूजे थे। मौत तीन दिन के अंदर की थी, वही मनोज रैदास का पोस्टमार्टम 11:40 से 1:30 तक चला। उसके शरीर पर चोट मौजूद थी, जो ठोस वस्तु के घर्षण से आई थी। शरीर के ऊपरी अंगों से लेकर निचले अंगों तक में अकड़न थी। जीभ बाहर थी और मुंह खुला था। उसके नाखून नीले थे। और नीलापन किसी जहर दिए जाने पर आता है। यही नहीं उसके बाल आसानी से उखड़ नहीं रहे थे। जिससे साफ था कि मनोज की मृत्यु समय करिया की मृत्यु से कम है। दूसरे चिकित्सक डॉक्टर सुनील की रिपोर्ट में करिया की डेडबॉडी में जगह-जगह स्किन निकल रही थी। बाल उखड़ रहे थे। इस लक्षण से लग रहा था कि ये 2-3 दिन बाद से शुरू होते हैं। मनोज के शरीर में 13 चोटें थी।
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रिपोर्ट में खुलासा जेल के अंदर CCTV था खराब
जांच के दौरान अधीक्षक से 20 जून से लेकर 21 जून के बीच का सीसीटीवी फुटेज मांगा गया तो 30 जून को उनके द्वारा जवाब दिया गया कि 9-10 मई को कैमरे के इंजीनियर ने बताया था कि शार्ट सर्किट से खराब हो गया है। कैमरा बनाने की कार्रवाई की जा रही है। फिर 18 नवंबर को जवाब दिया गया कि 21 जून की कोई रिकार्डिंग जेल प्रशासन ने उपलब्ध नहीं होने की बात जांच टीम को बताया।
सीजेएम सपना त्रिपाठी द्वारा की गई मजिस्ट्रियल जांच में मृतकगण को अवसाद से ग्रस्त नहीं पाया गया। जांच में पाया गया कि मृतक मनोज और करिया की मृत्यु के समय और कारण पूर्णतया संदिग्ध है। उनकी मृत्यु 21 जून 2023 के पूर्व हो चुकी थी किंतु जेल प्रशासन ने जानबूझकर उनके मृत्यु की सूचना नहीं दी थी। सीजेएम सपना त्रिपाठी के अनुसार मृतकगण की मृत्यु का कारण “एंटी मॉर्टम हैंगिंग” है किंतु उनके पोस्टमॉर्टम से स्पष्ट है कि मृतकगण को किसी नशीले पदार्थ के प्रभाव में उनकी इच्छा के विरुद्ध फांसी पर लटकाया गया। जिसके कारण यह मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी जेल प्रशासन की है।
क्या कहा अमिताभ ठाकुर ने
कहा कि यह रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह के पास पहुंच गई है, लेकिन उनके द्वारा जानबूझकर मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, उन्होंने अविलंब हत्या का मुकदमा दर्ज करके सीबीसीआईडी जांच की मांग की है। साथ ही जेल अधीक्षक सहित अन्य जिम्मेदार अफसरों को तत्काल निलंबित किए जाने की भी मांग की है।