Janmashtami 2023 : हर साल श्री कृष्ण भगवान की जन्मस्थली मथुरा मे जन्माष्टमी खुब धुम धाम से मनाया जता है। बता दे कि मथुरा हिंदुओं के सबसे चहेता स्थल माना जाता है। वहीं जन्माष्टमी हो या रास लीला या फिर होली यहां सभी पर्व बड़े ही खुब धूमधाम से मनाए जाता है। बता दे कि जन्माष्टमी के दिन न सिर्फ भारत बल्कि विदेश में भी श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की विधि विधान से पूजा की जाती है।
कृष्ण जन्मभूमि मंदिर
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर, मथुरा जिले में स्थित है। यह वही स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था. सारे मंदिरों में इस मंदिर को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इस मंदिर की स्थापना जेल की कोठरी के चारों ओर की गयी है। हिंदू धर्म में इस मंदिर का बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर राजा वीर सिंह बुंदेल द्वारा निर्मित है, जो भगवान कृष्ण के वंशज थे।वहीं मान्यता है कि इसी स्थान पर कभी भगवान कृष्ण ने जन्म लिया था। यहां पर दर्शन के लिए आप सुबह 5 बजे से दोपहर के 12 तक और शाम 4 से रात 9 बजे तक जा सकते हैं।
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इस्कॉन मंदिर
वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर कृष्ण भक्तों का एक प्रमुख केंद्र है। इसकी स्थापना 1975 में की गई थी. इस्कॉन मंदिर को श्रीकृष्ण बलराम का मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर संगमरमर से बना हुआ है जिसका निर्माण भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने करवाया था।वृंदावन में स्थित इस मंदिर में दर्शन के लिए लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जन्माष्टमी के मौके पर यहां कान्हा के भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। आप यहा पर सुबह 4:30 बजे से लेकर दोपहर 1 बजे तक, साथ ही शाम का समय 4:30 से रात 8:30 तक दर्शन के लिए जा सकते हैं।
बांके बिहारी मंदिर
वहीं बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के प्राचीन मंदिरों में से एक है। बता दे कि इस मंदिर वृंदावन को सात ठाकुर मंदिरों में से एक माना जाता है। वहीं श्री कृष्ण जी को बांके बिहारी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर श्री राधावल्लभ मंदिर के पास तंग गलियों के बीच है। श्रीकृष्ण की एक मूर्ति को देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है। बांके बिहारी मंदिर का मुख्य द्वार पीले-भूरे रंग से डिजाइन किया गया है, यही द्वार वृंदावन का मुख्य आकर्षण केंद्र है।
इस नियम से करें पुजा
- शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और रात्रि के समय हुआ था। इसलिए जन्माष्टमी पर रात में शुभ मुहूर्त में कान्हा का जन्म कराएं।
- रात्रि में कान्हा का जन्मोत्सव के समय खीरा जरुर काटना चाहिए। वहीं मान्यता है इससे घर में श्रीकृष्ण का वास होता है। वंश वृद्धि में कभी परेशानी नहीं आती.
- माखन-मिश्री के भोग के बिना बाल गोपाल की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसके साथ ही जन्म से पहले कान्हा का अच्छी तरह श्रृंगार करें। उन्हें नए वस्त्र पहनाएं। सुंगधित फूलों से सजावट करें।
- जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले दिन में सिर्फ एक बार फलाहार करें। रात्रि में पूजन के बाद अगले दिन सूर्योदय में व्रत का पारण करना उत्तम होगा।