Uttar Pradesh Consolidation Order: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 137 गांवों के बाद अब 378 गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया शुरु होगी। बता दें कि 4 गांवों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। वहीं 374 गांवों में चकबंदी के लिए कभी भी अधिसूचना जारी की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में चकबंदी से किसानों को बहुत लाभ होगा। इसी के साथ जिन जमीनों पर कब्जा व अतिक्रमण है चकबंदी के दौरान उसे हटाया जाएगा।
किसानों के लिए योगी सरकार खुशखबरी
योगी आदित्यनाथ सरकार प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी लाई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने चकबंदी का आदेश जारी होने के बाद से अधिकारी इसे सफल बनाने में जुट गए हैं। शासन ने प्रथम चरण के पूर्व में 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी के आदेश के बाद दूसरे चरण में 378 गांवों में चकबंदी कराने का आदेश जारी किया है। शासन ने बीते दिनों इन गांवों में चकबंदी कराने के प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया है। चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन कुमार ने बताया कि इनमें से चार गांवों में चकबंदी से जुड़े एक प्रस्ताव को शासन की स्वीकृति मिलने के बाद इन चारों गांवों में चकबंदी कराने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश जोत चकबन्दी अधिनियम क्या है…
उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम (1953) को 04 मार्च, 1954 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गयी थी। और इसका प्रकाशन दिनांक 08 मार्च, 1954 को उत्तर प्रदेश असाधारण राजपत्र में किया गया। इस प्रकार उत्तर प्रदेश जोत चकबंदी अधिनियम, 1953 08 मार्च, 1954 से लागू है। अधिनियम के प्रख्यापन के पश्चात से अब-तक प्रथम चक्र के अन्तर्गत कुल 1,00,059 ग्राम तथा द्वितीय चक्र के अन्तर्गत 23,781 ग्रामों की चकबंदी पूर्ण की जा चुकी है। चकबंदी के उपरान्त कृषकों की बिखरी हुई व छोटे- छोटे- जमीन के टुकड़ों में (खेत या जमीन) के संहत होने के फलस्वरूप कृषि उत्पादन पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा है। साथ ही, नाली, चकरोड व संपर्क मार्ग तथा सार्वजनिक प्रयोजन हेतु भूमि उपलब्ध होने के परिणाम स्वरूप कृषिक भूमि का नियोजन भी हुआ है।
क्या होती है चकबंदी
किसान आमतौर पर चकबंदी प्रक्रिया को काफी जटिल मानते है। गांव में चकबंदी कैसे होती है। आइए जानते है कि कैसे होती है चकबंदी.. अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के बढ़ने के साथ खेती की जमीनों में बंटवारा होता रहता है। ऐसे में एक समय के बाद पैतृक खेत, बाग आदि की भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित होती रहती है। इसके कारण किसानों को छोटे जमीन के टुकड़ों पर खेती करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, एक लम्बे समय के बाद गांवों में खेत की सीमाओं सम्बन्धी विवाद, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण आदि की शिकायतें बढ़ जाती हैं, जिसके कारण सरकार चकबंदी कराती है।
किसानों को चकबंदी से क्या होता है फायदा
ग्रामीणों में अगर सरकारी जमीनों या किसी दबंग द्वारा किसान की खेती भूमि पर कब्जा या अतिक्रमण होता है तो चकबंदी के बाद उस कब्जे और अतिक्रमण खत्म हो जाता है। खेत के छोटे- छोटे टुकडे़ होने के कारण खेत की पैदावार बहुत कम हो जाती थी। इसके साथ ही खेत का आकार अधिक हो जाने से औसत उत्पादन की लागत घट जाती है। कानूनी रूप से चक बन जाने के कारण भूखंडों की सीमा को लेकर उत्पन्न होने वाले विवाद खत्म हो जाते हैं। किसानों के छोटे-छोटे खेतों की मेड़ों में भूमि बर्बाद नहीं होती है। इस तरह से चकबंदी के बाद खेत का आकार बड़ा हो जाने के कारण आधुनिक उपकरणों, जैसे-ट्रैक्टर आदि का इस्तेमाल आसान हो जाता है। एक स्थान पर भूमि हो जाने के कारण कृषि क्रियाकलापों की उचित देखभाल संभव हो पाती है।
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प्रथम चरण में 29 जिलों के 137 गांवों में जारी हुआ चकबंदी का आदेश
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी का आदेश जारी कर दिया है। कानपुर देहात, मुरादाबाद, बिजनौर, रायबरेली, रामपुर, संत कबीर नगर, सोनभद्र, देवरिया, वाराणसी, बरेली, बसती, बदायूं , बलरामपुर, जौनपुर, गोंडा, प्रयागराज, बुलंदशहर, मऊ, मथुरा, मैनपुरी, सिद्धार्थनगर,बरेली, बसती, बदायूं , बलरामपुर, जौनपुर, गोंडा, प्रयागराज, बुलंदशहर, मऊ, मथुरा प्रतापगढ़, शाहजहांपुर, सुलतानपुर, अंबेडकरनगर जिलों को शामिल किया गया है।
ड्रोन व रोवर सर्वे आधारित होगी चकबंदी
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 29 जिलों के 137 गांवों में चकबंदी के आदेश के बाद दूसरे चरण में 378 गांवों में चकबंदी कराने का आदेश जारी किया है। आदेश जारी होने के बाद से 378 गांवों में चकबंदी कराने की अधिसूचना जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई में 137 गांवों में चकबंदी की अधिसूचना जारी की गई थी। चकबंदी आयुक्त ने बताया कि किसानों के हित में चकबंदी कार्यों को गति प्रदान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लाक चेन, ड्रोन व रोवर सर्वे आधारित चकबंदी कराया जाना प्रस्तावित है।