Uttar Pradesh News : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या की घटना ने देशभर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस घटना ने पूरे देश में महिलाओं के प्रति हिंसा और असुरक्षा की समस्याओं को उजागर किया है और सुरक्षा उपायों पर पुनर्विचार की आवश्यकता को दर्शाया है।राज्य सरकारें और संबंधित विभाग अब महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न कदम उठाने की बात कर रही हैं, जिसमें कड़े कानून, अधिक निगरानी और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने की बातें शामिल हैं।
ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार सख्त हो गई। शासन ने सभी सरकारी और निजी संस्थानों में महिला कर्मियों से तय समय से ज्यादा काम न लेने निर्देश दिया गया है। अपर मुख्य सचिव गृह ने सभी मंडलायुक्त पुलिस आयुक्त डीएम एसएसपी-एसपी सीएमओ सभी विभाग व कार्यालय अध्यक्ष को निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है।
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नियमित सुरक्षा आडिट पर जोर
वहीं रात में आवागमन के दौरान उनके सुरक्षा प्रबंधों व कार्यस्थल के नियमित सुरक्षा आडिट पर जोर दिया गया है। महिलाओं के लिए कार्यस्थल में अलग व सुरक्षित विश्राम कक्ष व प्रसाधन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध व निवारण) अधिनियम-2013 के तहत एक आंतरिक शिकायत समिति के गठन व अन्य निर्देशों का भी पालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
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पुलिस को ये भी निर्देश
निर्देश में कहा गया है कि ऑफिस के आपातकालीन नंबर पर चौबीस घंटे नामित अधिकारी मौजूद मिले। ऑफिस आने वालों का ब्यौरा दर्ज किया जाए। प्रशासन ने कहा है कि महिलाकर्मियों के आवागमन मार्गों पर हाट स्पाट चिह्नित किया जाए। रात्रि 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच काम करने वाले महिलाओं की मांग के अनुसार व्यवस्था की जाएगी।
हाट स्पाट पर 112 की एस्कार्ट सेवा का प्रचार-प्रसार, परिवहन निगम की बसों व टैक्सी के लिए ड्राप आफ प्वाइंट चिह्नित कर वहां प्रकाश की व्यवस्था व सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाने का निर्देश भी दिया गया है। इन जगहों यूपी 112 की पीआरवी तैनात कराने को कहा गया है। अगर जरूरत पड़ी तो पुलिस की गाड़ी महिलाओं को घर तक छोड़ेगी।
समय से अधिक ड्यूटी न ली जाए
अपर मुख्य सचिव, गृह दीपक कुमार ने विभिन्न कार्यालयों, प्रतिष्ठानों व स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा के लिए विस्तृत निर्देश जारी किया है। कार्यस्थल पर महिला उत्पीड़न व हिंसा रोकने के लिए सुनिश्चित किया जाए कि इन्हें निर्धारित समय से अधिक ड्यूटी न करनी पड़े।
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महिलाओं को दी जाए आत्मरक्षा की ट्रेनिंग
महिला कार्मिकों को उनकी सुरक्षा और संरक्षा पर जागरूकता और आत्मरक्षा ट्रेनिंग कराई जाए. इमरजेंसी संपर्क, पुलिस हेल्पलाइन, यात्रा करते समय क्या करें और क्या न करें, यौन उत्पीड़न, लैंगिक भेदभाव या लैंगिक पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण और शिकायत प्रक्रिया पर विधिक प्राविधानों के बारे में जागरूकता दी जाये. तत्काल रिपोर्टिंग और घटना प्रतिक्रिया सहित स्पष्ट और कुशल आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल स्थापित किया जाये। प्रतिशोध के डर के बिना उत्पीड़न, हिंसा या अन्य सुरक्षा चिंताओं की रिपोर्टिंग के बारे में कर्मचारियों को शिक्षित किया जाये।