विशाल तिवारी
Relationship: लफ्जों से क्या मुकाबला नजरों के वार का, असर अक्सर गहरा होता है बेजुबां प्यार का.प्रेम एक ऐसा शब्द जिसके अलग-अलग समय में लोगों ने अलग-अलग मायने निकाले हैं.किसी ने प्रेम को अध्यात्म की खूबसूरती माना तो किसी ने सिर्फ ‘काम’ तक ही उसको सीमित रखा लेकिन आज एक तरफा प्रेम युवा पीढ़ी के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.आखिर क्या है इसके पीछे की वजह देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में..
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रिश्तों में बैलेंस बनाने का क्या महत्व ?
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय.हिंदी साहित्य की प्रेमाश्रयी शाखा के महान कवि रहे रहीमदास का यह दोहा वर्तमान में प्रेम की भाषा-परिभाषा बताने वालों के लिए शोध का विषय बना हुआ है.आज संबंधों की श्रेणी में रिश्तों के अलग अलग मायने निकल कर आ रहे हैं.इसी कड़ी में हम बात करेंगे कि रिश्तों में बैलेंस बनाने का क्या महत्व है और किस तरह से एकतरफा प्यार रिश्ते को दीमक की तरह खोखला करता जा रहा है.दरअसल एक तरफा प्यार की चर्चा में जाने से पहले आइए हम जान लेते हैं कि इसकी परिभाषा क्या है.एक तरफा प्यार यानी कि रिश्ते का इंटरपर्सनल रिलेशनशिप जिसमें एक पक्ष ज्यादा समय, ऊर्जा, पैसे और प्यार लगाता है जबकि बदले में उसे मिलने वाला रिटर्न काफी कम होता है.एक तरफा रिश्तों में बराबरी रिश्ता बनने के बाद शुरू होती है.
रिश्तों की शुरुआत करने से पहले चिंता
यूं तो जैसे जैसे समय बदल रहा है वैसे-वैसे प्रेम और इश्क के तौर तरीके भी बदल रहे हैं लेकिन आज के समय में युवाओं के बीच बढ़ते एक तरफा प्यार ने रिश्तों की शुरुआत करने से पहले ही चिंता करने की लकीरें खींचनी शुरू कर दी हैं जिससे रिश्तों में टकराव की स्थिति पैदा होने के चांस बढ़ते जा रहे हैं.शादी का रिश्ता हो या लव अफेयर या फिर दोस्ती, कई बातें हैं, जो उसके एकतरफा होने की ओर इशारा करती हैं। वेरी वेल माइंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक एकतरफा या इंबैलेंस रिलेशनशिप में इस तरह के लक्षण दिख सकते हैं-
- कॉमन एक्टिविटी के बारे में कोई एक पार्टनर ही फैसले करे।
- एक पार्टनर कमिटमेंट दिखाए और दूसरा इग्नोरेंस।
- टकराव की स्थिति में हमेशा एक ही पार्टनर को झुकना पड़े।
- बातचीत हमेशा एक ही पक्ष शुरु करता हो।
- हमेशा एक ही पार्टनर को समझौता करना पड़ता हो।
- बहस या लड़ाई होने पर हमेशा एक ही पार्टनर सुलह की पहल करता हो।
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रिलेशनशिप बैलेंस करने के लिए क्या करें?
हमने एकतरफा रिश्ते को समझ लिया है और साथ में यह भी कि इसके क्या नुकसान हो सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर किसी कारणवश रिश्ता एकतरफा हो गया हो तो उसे बराबरी पर कैसे लाएं।वैसे तो इसका कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है, जिसे हर रिश्ते पर समान रूप से लागू किया जाए। फिर भी दुनिया भर के मनोवैज्ञानिकों और रिलेशनशिप कोच ने रिश्ते में बराबरी लाने के लिए कुछ टिप्स जरूर सुझाए हैं-
ईगलिटेरियन पार्टनरशिप से रिश्ते में लाएं बराबरी
रिश्ते में आई किसी भी तरह की गैरबराबरी को खत्म करने में ‘इगैलिटेरियन पार्टनरशिप’ को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। दरअसल, यह एक तरह का हाइपोथेटिकल रिश्ता है। अपने रिश्ते में बराबरी लाने के लिए कपल को इसके ज्यादा-से-ज्यादा करीब जाने की सलाह दी जाती है।
इगैलिटेरियन रिश्ते में समानता पर सबसे ज्यादा जोर दिया जाता है। चाहे वह समानता भावनात्मक स्तर पर हो या दुनियावी मामले में। इस तरह के रिश्ते में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि घर के काम कौन कर रहा है। मसलन, बर्तन कौन मांज रहा है, झाड़ू-पोंछा कौन कर रहा है और खाना कौन पका रहा है? इगैलिटेरियन रिश्ते में इन कामों को भी पार्टनर्स आपस में बराबरी से बांट लेते हैं। यहां पार्टनर्स के बीच मेंटली, इमोशनली और फाइनेंशियली सभी तरह से बराबरी पर जोर दिया जाता है।
एक्टिव या पैसिव भूमिका निभाने से बचें
किसी भी रिश्ते के एकतरफा होने की एक वजह, किसी एक पार्टनर का एक्टिव और दूसरे का पैसिव भूमिका में आना भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में एक्टिव भूमिका निभाने वाला पार्टनर रिश्ते को ज्यादा कंट्रोल करता है, जबकि पैसिव भूमिका वाले पार्टनर के अधिकार सीमित होते हैं। यह पुरानी सोच रिश्ते में पॉवर इंबैलेंस को बढ़ावा देने का काम करती है, जो एकतरफा रिश्ते की वजह बन सकती है।
अगर एकतरफा रिश्ते को बराबरी के रिश्ते में बदलना हो तो बेहतर है कि रिश्ते में एक्टिव और पैसिव के दायरे से किनारा करते हुए जिम्मेदारियां समानता के आधार पर तय की जाएं। कोई भी पार्टनर दूसरे पर हावी होने या रिश्ते को अपने कंट्रोल में रखने की कोशिश न करे।
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रिश्ते में बराबरी लाने के लिए पार्टनर की सहानुभूति गेन करें
इमोशन और पॉवर इंबैलेंस होने की स्थिति में ही रिश्ता एकतरफा होता है। ऐसी स्थिति में इंपैथेटिक होकर सोचना मददगार साबित हो सकता है। आसान भाषा में समझें तो अपने आप को अपने पार्टनर की जगह रखकर देखना कि उसे कैसा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में रिश्ता खुद-ब-खुद बैलेंस होने लगता है।
रिश्ते में जब पार्टनर एक-दूसरे के प्रति इंपैथेटिक होकर सोचते हैं तो उनके बीच से कंट्रोलिंग बिहेवियर कम होने लगता है। दोनों एक-दूसरे की भावनाओं की ज्यादा चिंता करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में रिश्ता बराबरी की ओर बढ़ता है।
बराबरी किसी भी हेल्दी रिलेशनशिप की बुनियाद
कुल मिलाकर देखें तो एक्सपर्ट की राय यही कहती है कि किसी भी रिश्ते में सम्मान और साथ के बाद ही स्नेह का नंबर आता है और इस साथ और स्नेह के लिए बराबरी का सम्मान जरूरी होता है। बराबरी किसी भी हेल्दी रिलेशनशिप की बुनियाद है। क्रिकेट मैच में बराबरी न तो तो दर्शक बोर होने लगते हैं या फिर मैच देखने से ही इनकार कर देते हैं। तो फिर प्यार की बातों में गैर बराबरी या एकतरफा रिश्ता कहां तक टिक सकता है?
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