Sandeshkhali incident News : कोलकाता में पुलिस किलेबंदी वाले उत्तरी 24 परगना जिले के गांव संदेशखाली में खामोशियें का माहौंल है। इस गांव में बीजेपी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की एंट्री बंद कर दी गई है। मीडियाकर्मियों के लिए गांव में लोगों तक पहुंच आसान नहीं है। गांव के पुरुष बोलने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं क्योकि वो अपनी तस्वीर भी कैमरे में कैद करने से परहेज कर रहे हैं। गांव की कुछ औरतें मीडियाकर्मियों से बात कर रही हैं, मगर वो भी डरी-सहमी सी हैं। उन्हें डर है कि पुलिस प्रशासन के हटने के बाद शाहजहां शेख के गुंडे परेशान करेंगे। जब उनसे पूछा गया कि शाहजहां शेख के गुंडे कहां हैं? एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि इलाके के नौजवान शेख के लिए काम करते हैं।
दिन भर मोटरसाइकल से घूमते हैं। शाहजहां के गुर्गो को पता है कि कौन बाहरी लोगों से बात कर रहा है। ये लड़के ही हमारी जमीन पर कब्जा करने के लिए मारपीट करते हैं। पार्टी ऑफिस में ले जाकर मनरेगा की मजदूरी भी छीनने के लिए जबरन पार्टी ऑफिस ले जाते थे। उन्हें बताया गया है कि हर आदमी को पार्टी फंड में पैसा देना है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में मारपीट,महिलाओं से रेप और जमीन पर अवैध कब्जे का जिक्र किया है।
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आखिर कौन है शाहजहां शेख?
कभी एक मजदूर रहे शाहजहां शेख ने इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए राजनीतिक रसूख की मदद ली। शाहजहां शेख शुरुआती दौंर में मछली पालन करने वाला एक वर्कर था। उसने कुछ समय तक जीविका चलाने के लिए ईंट भट्टे में भी काम किया। शाहजहां शेख पर लगे आरोप 1990 के दशक की फिल्मों में दिखाए जाने वाले गुंडों के आतंक की याद ताजा कर देते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ संदेशखाली में शाहजहां शेख के भाई बनने की कहानी भी फिल्मी है। 42 साल का शाहजहां शेख राज्य में टीएमसी की सरकार आने से पहले तक सीपीएम के साथ था।अपने परिवार में चार भाई-बहनों में सबसे बड़े शाहजहां शेख ने मजदूरी करते हुए एक यूनियन नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखा। 2004 में वो सीपीआई (एम) से जुड़ा। इसमें उनकी मदद उसके मामा मोस्लेम शेख ने की। जो उस वक्त पर सीपीएम के नेता और पंचायत प्रमुख थे।
ईडी ने शाहजहां शेख के खिलाफ कार्रवाई
वह छह सालों तक अपने मामा के छत्र-छाया में आगे बढ़ा। 2010 में जब राज्य की राजनीति की हवा बदली तो शाहजहां शेख ने इसे भांप लिया और फिर वह टीएमसी नेताओं से नजदीकी बढ़ाकर पार्टी में आ गया। शाहजहां शेख ने शुरुआत में TMC राष्ट्रीय महासचिव मुकुल रॉय और उत्तर 24 परगना टीएमसी जिला अध्यक्ष ज्योतिप्रियो मलिक (jyotipriya mallick) के नेतृत्व में काम करने लगा।
जब ज्योतिप्रियो मलिक को मंत्री बनाया गया, तो शाहजहां शेख की ताकत और बढ़ गई।इसके बाद टीएमसी के बैनर तले शाहजहां शेख ने अपनी ताकत में इजाफा किया और वर्चस्व बनाने के बाद 2011 से 2024 तक महिलाएं क्षेत्र में शाहजहां शेख के आतंक को सहती रहीं, लेकिन वे बोल नहीं पाईं। 5जनवरी को जब ईडी ने शाहजहां शेख के खिलाफ कार्रवाई की तो वहां की महिलाओं को लगा कि वे अब बोल सकती हैं।
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“महिलाओं पर शेख की बुरी नज़र”
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक,संदेशखाली में महिलाओं का शारीरिक उत्पीड़न और रेप की कई वारदात सामने आई। 8फरवरी को शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने आरोप लगाया था कि टीएमसी की मीटिंग में देर रात बुलाया जाता था। यह सिलसिला 2020 के बाद शुरू हुआ। शेख के गुर्गों की नजर 30 साल से कम उम्र वाली महिलाओं पर होती थीं। मीटिंग में मनोरंजन के नाम पर उनका शारीरिक उत्पीड़न होता था। दूसरे इलाके से मजदूरी करने संदेशखाली आए प्रवासी आदिवासी मजदूरों की पत्नियां उनके टारगेट पर होती थीं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी आरोप लगाया था कि महिलाओं से टीएमसी ऑफिस में बंधक बनाकर कई दिनों तक गैंगरेप हुआ।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस जब सोमवार को संदेशखाली पहुंचे तो महिलाओं ने अपनी आपबीती उनको सुनाई। जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि उन्होंने रेप की शिकायत पुलिस से क्यों नहीं की तो संदेशखाली में रहने वाली 48 वर्षीय महिला ने बताया कि जिन महिलाओं से गैंगरेप हुआ, पुलिस उससे ही मेडिकल रिपोर्ट मांग रही है। आखिर पीड़ित महिलाएं मेडिकल रिपोर्ट कहां से लाएंगी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) को पीड़ित महिलाओं ने बताया कि शिकायत करने पर पुलिस रात में आकर दरवाजा पीटती है और टीएमसी के ब्लॉक अध्यक्ष महिलाओं के पतियों को धमकी देता है।
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सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई,लगी विशेषाधिकार पर रोक
आज सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी समेत कई अधिकारियों के खिलाफ लोकसभा विशेषाधिकार समिति की कार्रवाई पर रोक लगाई।अब इस मामले में अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी।संसद की आचार समिति ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। लोकसभा सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी हुआ था।कश्मीर जैसा बदलाव बंगाल में भी सुकांत मजूमदार ने अपने बयान मे कहा कि इस मामले पर अमित शाह नजर बनाए हुए हैं। हमें गृह मंत्री पर पूरा भरोसा है। जब कश्मीर का समाधान हुआ तो ममता बनर्जी और बंगाल क्या चीज है।