Priyanka Gandhi Contest Election Wayanad: चुनाव आयोग ने केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है, जो 13 नवंबर को होगा। यह सीट कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यहां से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार चुनावी मैदान में उतरेंगी। यह उपचुनाव तब जरूरी हुआ जब उनके भाई, राहुल गांधी, ने रायबरेली लोकसभा सीट को चुनते हुए वायनाड सीट को खाली कर दिया था। राहुल गांधी इस साल के लोकसभा चुनाव में दोनों सीटों – रायबरेली और वायनाड – से विजयी हुए थे। प्रियंका गांधी की इस चुनावी एंट्री को कांग्रेस की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
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चुनाव आयोग की घोषणा
चुनाव आयोग द्वारा वायनाड उपचुनाव की घोषणा के तुरंत बाद कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी। पार्टी ने औपचारिक रूप से घोषणा कर दी कि प्रियंका गांधी इस सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। इस उपचुनाव के जरिए प्रियंका गांधी संसद में अपना पहला कदम रखेंगी, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है। राहुल गांधी के रायबरेली को बरकरार रखने के फैसले के बाद से ही कांग्रेस ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि वायनाड सीट से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाया जाएगा।
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प्रियंका गांधी की चुनावी एंट्री
प्रियंका गांधी की इस उपचुनाव में भागीदारी को कांग्रेस की राजनीति में नई दिशा देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से प्रियंका गांधी को कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने की मांग होती रही है, लेकिन अब तक उन्होंने चुनावी राजनीति से दूरी बनाए रखी थी। वायनाड से उनकी उम्मीदवारी कांग्रेस के समर्थकों के लिए उत्साहजनक खबर है। पार्टी को उम्मीद है कि प्रियंका गांधी की लोकप्रियता और करिश्माई व्यक्तित्व कांग्रेस के लिए इस सीट को बनाए रखने में मदद करेगा।
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वायनाड सीट का महत्व
वायनाड लोकसभा सीट केरल के सबसे महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्रों में से एक मानी जाती है। यहां से राहुल गांधी ने 2019 में भी शानदार जीत हासिल की थी। यह सीट कांग्रेस के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि केरल में पार्टी की मजबूत पकड़ है और वायनाड में मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। इस बार के उपचुनाव में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट से होगा। हालांकि, प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी के कारण कांग्रेस की स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
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चुनावी समीकरण और संभावनाएं
प्रियंका गांधी की चुनावी एंट्री ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है। कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रियंका की लोकप्रियता और उनके परिवार का राजनीतिक प्रभाव इस सीट पर उन्हें विजय दिला सकता है। वहीं, बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट भी इस सीट पर अपनी दावेदारी पेश करने की कोशिश करेंगे। वायनाड की जनता के बीच प्रियंका गांधी की छवि, उनके व्यक्तित्व और परिवार की राजनीतिक विरासत का क्या असर होगा, यह देखने वाली बात होगी।
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राजनीति में कब हुई एंट्री?
बता दें कि प्रियंका गांधी ने 1999 में राजनीति में एंट्री ली थी, जब वो अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करने उतरी थीं। इस दौरान उन्होंने पहली बार राजनीतिक मंच से बीजेपी उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार था। लेकिन इन 25 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ, जब प्रियंका गांधी ने चुनाव लड़ा हो। हालांकि उनके चुनाव लड़ने की कई बार चर्चा हुई। कांग्रेस समर्थक प्रियंका गांधी से यूपी में अपनी दादी और मां की विरासत को आगे बढ़ाने की आशा टिकाए हुए थे।