Bihar flood News : नेपाल में लगातार बारिश के बाद आई बाढ़ ने बिहार मुश्किलें बढ़ा दी हैं। वहीं उत्तरी बिहार में विभिन्न स्थानों पर नदियों के उफान के कारण जन-जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। लाखों लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, और मवेशियों के लिए चारे का संकट भी पैदा हो गया है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया।
मुख्यमंत्री के दौरे के बाद बाढ़ प्रबंधन और राहत कार्यों में पहले से अधिक तेजी देखी जा रही है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन को प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और आवश्यक सहायता पहुंचाई जा रही है।
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गांव में करीब 1200 लोग बाढ़ से प्रभावित
वहीं बिहार के तिरहुत प्रमंडल के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। बीते 24 घंटों में पानी का स्तर बढ़ने से कई नए इलाकों में जलभराव हो गया है, जिससे जन-जीवन पर व्यापक असर पड़ा है। लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं और मवेशियों के लिए चारे की कमी हो गई है।पश्चिम चंपारण जिला सबसे अधिक प्रभावित है। नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण वाल्मीकिनगर गंडक बराज अपनी अधिकतम सीमा तक भर गया है। गंडक और सिकरहना नदी उफान पर हैं, जिससे कई क्षेत्रों में आवागमन ठप हो गया है।
भितहा के सेमरवारी पंचायत में मुख्य मार्ग के टूट जाने से आवागमन में रुकावट आई है। लौरिया-नरकटियागंज मार्ग पर स्थित ऐतिहासिक अशोक स्तंभ परिसर भी जलमग्न हो गया है।शिवहर में बागमती नदी के उफान से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है और निचले इलाकों के लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। पूर्वी चंपारण में बूढ़ी गंडक नदी में पानी बढ़ने से भी ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। भेलवा पंचायत के सबली गांव में करीब 1200 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
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बिहार में कोसी का तांडव
बिहार में कोसी, महानंदा, बागमती, गंडक, कमला बलान और कमला सहित अन्य प्रमुख नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. कोसी नदिया में जो उफान आया है, अब वो हर किसी को डरा रहा है। कोसी का जलस्तर बढ़ने से सुपौल, मधेपुरा और सहरास के जिलों में बाढ़ का खतरा मंढराने लगा है. नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए बैराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं। रविवार को बराह क्षेत्र में जल प्रवाह 2,27,300 क्यूसेक तक पहुंच गया और कोसी बराज पर 3,68,680 क्यूसेक हो गया था. जिससे कोसी बराज के सभी 56 फाटकों को उठाकर पानी आगे छोड़ा गया।
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बाढ़-बारिश से नेपाल में भी हालत खराब
नेपाल में काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जैसे शहर पूरी तरह जलमग्न नजर आ रहे हैं. काठमांडू की जिन सड़कों पर गाड़ियां फर्राटा भरती दिखती थीं, वहां अब सैलाब का बसेरा दिख रहा है। सैलानियों से गुलजार रहने वाला काठमांडू इन दिनों पानी-पानी नजर आ रहा है। मूसलाधार मुसीबत के आगे मानो नेपाल के कई जिलों ने सरेंडर कर दिया है।लगातार बारिश से ज्यादातर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। रिहायशी इलाकों को पानी ने अपनी चपेट में ले लिया है। बारिश के बाद हुए हादसों और लैंडस्लाइड में अब तक करीब 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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नेपाल ने कब कितना पानी आया
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल ने बीते शनिवार से अब तक करीब 22 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है. इससे गंडक नदी पर बना वाल्मीकिनगर बराज पर जल स्तर उच्चतम बाढ़ स्तर 112.40 मीटर के मुकाबले 109.667 मीटर पर पहुंच गया है. बैराज से शनिवार की रात 10 बजे 3.32 लाख क्यूसेक और रात 12 बजे 3.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. रविवार सुबह दो बजे 4.12 लाख, चार बजे 4.24 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. सोमवार को 2 लाख 70 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना है. नेपाल कोसी बराज से चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है