विशाल तिवारी
Uttar Pradesh Assembly Election: लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम चरण का मतदान खत्म हो चुका है और अब इसके परिणामों का पूरे देश को इंतजार है. सभी की निगाहें 4 जून पर टिकी हुई है. लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश में 4 ऐसी विधानसभा सीटें रही जंहा उपचुनाव भी संपन्न हुआ, लेकिन इन सीटों पर किसी भव्य चुनाव प्रचार का आयोजन नहीं हुआ.आखिर कौन सी ऐसी 4 सीटें रही जंहा विधानसभा का उपचुनाव संपन्न हुआ है .देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में.
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उपचुनाव दबे पांव गुजर गया
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लोकसभा चुनाव के 18 वें संस्करण का मतदान हो चुका है और लोगों को अब परिणामों की इंतजार है लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश की ऐसी 4 ऐसी विधानसभा सीटें रही जंहा विधानसभा का उपचुनाव भी संपन्न हुआ, लेकिन लोकसभा चुनाव के प्रचार की आंधी में इन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव दबे पांव गुजर गया.इन विधानसभा सीटों में दुद्धी,लखनऊ-पूर्वी सीट,ददरौल और गैंसड़ी सीटें शामिल हैं.
मतदाताओं की दिलचस्पी कम देखने को मिली
हालांकि साल 2022 के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस उपचुनाव के मतदान में मतदाताओं की दिलचस्पी कम देखने को मिली है.अगर हम बात करें दुद्धी विधानसभा सीट की तो यंहा सर्वाधिक 10 फीसदी की गिरावट हुई है.वंही लखनऊ पूर्वी- सीट पर भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे आशुतोष टंडन के निधन के बाद पार्टी ने यहां से ओपी श्रीवास्तव पर दांव लगाया है और सपा ने यह सीट कांग्रेस को दे दी है जिसमें कांग्रेस के टिकट पर पार्षद मुकेश सिंह चौहान मैदान में उतरे हैं.
हालांकि ये बात अलग है कि यहां चुनाव लड़ने को लेकर सपा और कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं में सिर फुटौव्वल की नौबत दिखी, लेकिन मैदान में मुकेश सिंह ही डटे रहे.अगर बात करें चुनावी प्रचार की तो यंहा उपचुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस की तरफ से कोई खास दांवपेंच नहीं देखा गया और स्थानीय नेता ही मैदान में पांव जमाए रहे.यंहा पर 20 मई को हुए मतदान में 2022 की अपेक्षा 3.38 फीसदी गिरावट के साथ 52.54 फीसदी मतदान हुआ है.
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अरविंद सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा
वंही ददरौल से भाजपा विधायक मानवेंद्र सिंह के निधन के बाद उनके बेटे अरविंद सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा और इंडिया गठबंधन ने उनके सामने बसपा सरकार में राज्यमंत्री रहे अवधेशवर्मा पर दांव लगाया है. हालांकि, यहां भी उपचुनाव को लेकर दोनों दल गंभीर नहीं दिखे. यंहा 13 मई को उपचुनाव हुआ, लेकिन साल 2022 की अपेक्षा 2.84 फीसदी की गिरावट के साथ 58.66 फीसदी मतदान ही हुआ.
अगर बात करें गैंसड़ी विधानसभा की तो यह सीट सपा विधायक डॉ. शिव प्रताप यादव के निधन से खाली हो गई थी जिसके बाद अब यहां से सपा ने डॉ. शिव प्रताप के बेटे राकेश कुमार यादव पर दांव लगाया है और जनता से सहानुभूति बटोरने की कोशिश की गई है.वंही भाजपा ने पूर्व विधायक शैलेंद्र सिंह शैलू को मैदान में उतारा है, जो कि वे 2022 में डॉ. शिव प्रताप से मात खाए थे और इस मैदान में भी उत्साह नहीं दिखा….अगर बात करें यंहा के मतदान की तो यहां 0.80 फीसदी की गिरावट के साथ 50.99 फीसदी मतदान हुआ.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक
वंही दुद्धी विधानसभा सीट प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक है और यंहा उपचुनाव रोचक भी है.आफको बता दें कि इस सीट पर भाजपा विधायक रामदुलार गोंड को दुष्कर्म के मामले में सजा होने और अदालत से अयोग्य ठहराने के बाद उपचुनाव हुआ है, जिसके बाद भाजपा ने संघ से जुड़े श्रवण गोंड पर तो सपा ने सात बार विधायक रहे विजय सिंह गोंड पर दांव लगाया है.आपको बता दें कि यहां कुल 3.18 लाख मतदाताओं में करीब 48 हजार गोंड बिरादरी के हैं.
भाजपा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया
हालांकि भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर भाजपा ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है.यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जनसभाएं की और लोकसभा चुनाव के साथ ही पूरा जोर लगा दिया है.इतनी कोशिशों केबावजूद भी साल2022 की तुलना में 10 फीसदी की गिरावट हुई और सिर्फ 54.40 फीसदी ही मतदान हो पाया.अब देखना यह होगा कि लोकसभा चुनाव की लहर के बीच क्या उपचुनाव में खड़े प्रत्याशियों को अपनी पार्टी का फायदा मिल पाता है या नहीं.
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