रायबरेली संवाददाता- बलवंत सिंह…
रायबरेली: एक तरफ बच्चों की पढ़ाई तो दूसरी तरफ क्षेत्रीय शिक्षको को पढ़ाने में बिजली की आँख मिचौली। सरकार के मंसूबों पर पानी फेरती नजर आ रही है। आलम यह है कि जैसे ही बिजली कटी , क्षेत्र में लगे जिओ के टावर हाँफने लगते है और नेट के प्राण आई0 सी0 यू0 में चले जाते है।
बच्चों से लेकर अभिभावकों तक परेशान हो जाते है। लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही के कारण लोग घरों से बाहर रहने को मजबूर हो गए है।बताते चले कि इसका कारण डलमऊ ब्लॉक के बरस,में बना विद्युत उपकेंद्र से बिजली की अघोषित कटौती व लो वोल्टेज के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली की अघोषित कटौती…
बिजली विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीणों में भारी रोष देखने को मिल रहा है। डलमऊ ब्लाक के बरस विद्युत उपकेंद्र पर हो रही बिजली की अघोषित कटौती से दर्जनों गांवों के ग्रामीण परेशान है । वही कुछ समय से कम वोल्टेज की समस्या से बिजली के पंखे व अन्य उपकरण, कूलर, फ्रिज आदि नहीं चल रहे हैं । तो वहीं गर्मी के कारण रात के समय लोग सो नहीं पाते। जिससे बिजली के सारे उपकरण खाली डिब्बा साबित हो रहे है। ग्रामीणों का आरोप है कि उक्त गांवों के लोगों को बिजली कर्मचारियों की लापरवाही के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आए दिन जर्जर तारों के टूटने से बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। बिजली न आने से किसानों की फसलों की सिचाई नहीं हो पा रही है।
फसलों की सिचाई नहीं हो पा रही…
एक तरफ गर्मी की मार तो दूसरी तरफ कोरोना का कहर ,करे तो क्या करे । बाहर निकले तो कोरोना का डर और घर के अन्दर तो बिजली न आने से गर्मी में मरे। ग्रामीण बिजली विभाग व संबंधित विभागीय अधिकारियों से समस्या की शिकायत कई बार कर चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हो सका है और समस्या जस की तस बनी हुई है। किसानों की धान व अन्य फसलों की सिचाई नहीं हो पा रही है। गांव में कुछ घंटे ही बिजली आपूर्ति की जा रही है। समझ मे नही आ रहा क्या किया जाए।