High Court : इलाहाबाद HC ने कहा कि लंबे समय तक चले love affairs के दौरान बने Physical relationship को रेप नहीं माना जा सकता है। इसके साथ ही HC ने यह भी कहा कि भले ही शादी से इनकार की कोई वजह हो। लेकिन उसे रेप नहीं मना जाएगा।वहीं कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी प्रेमी के खिलाफ निचली अदालत में चल रही अपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दी। साथ ही दुष्कर्म के आरोपी जियाउल्लाह की ओर से निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट को चुनौती देने वाली याचिका स्वीकार कर ली। बते दे कि ये आदेश justice अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच ने दिया है।
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कोर्ट के कहा..
वहीं( कोर्ट के बयान) कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में न्यायिक अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए। वे जमीनी हकीकत पर नजर रखें और उचित फैसला लें।वहीं वाराणसी के ओम नारायण पांडेय की जमानत अर्जी पर दी है। कोर्ट ने कहा कि समय आ गया है कि अदालतें ऐसे जमानत आवदेनों पर विचार करते समय बहुत सतर्क रहें। कनून पुरुषों के प्रति बहुत पक्षपाती है। प्राथमिकी में कोई भी बेबुनियाद आरोप लगाना और किसी को भी ऐसे आरोपों में फंसाना बहुत आसान है।
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कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया, फिल्मों, टीवी शो आदि के माध्यम से खुलेपन का फैशन या चलन फैल रहा है। इसका अनुकरण किशोर लड़के और लड़कियां कर रहे हैं। भारती सामाजिक और पारंपरिक मानदंडों के विपरीत और लड़की के परिवार और लड़की के सम्मान की रक्षा के नाम पर दुर्भावनापूर्ण रूप से झूठी एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।
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प्रेमिका के द्वारा दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज..
जनकारी के मुताबिक संत कबीर नगर के महिला थाने में एक युवती ने प्रेमी के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। वहीं प्रेमिका ने बयान दर्ज कराते समय कहा था कि 2008 में बहन की शादी के दौरान गोरखपुर में प्रेमी से मुलाकात हुई थी।जिस वजह से परिजनों की सहमति से प्रेमी गोरखपुर मिलने उसके घर आने लगा था। इस दौरान 2013 में शारीरिक संबंध बनाना शुरू कर दिया। वहीं प्रेमिका का आरोप है कि उसके परिजनों ने प्रेमी को व्यापार करने के लिए सऊदी अरब भी भेजा, जहां से वापस लौटने के बाद उसने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया। जिसके बाद प्रेमिका के द्वारा दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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इस मामले में याचिका के वकील का कहना था कि शारीरिक संबंध बनाते समय पीड़िता बालिग थी और उसने मर्जी से संबंध बनाए इसलिए शादी से इनकार करने के कारण झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है। वहीं कोर्ट ने याची की दलीलों और पीड़िता के बयानों के आधार पर दोनों पक्षों को सुना। जिसके बाद कोर्ट ने याची जियाउल्लाह के खिलाफ दाखिल पुलिस की चार्जशीट को रद्द कर दिया।