UP News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (JPNIC) को लेकर राजनीतिक जंग छिड़ चुकी है। जयप्रकाश नारायण की जयंती (Jayaprakash Narayan’s birth anniversary) के अवसर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव यहां माल्यार्पण करने वाले थे, लेकिन प्रशासन ने सेंटर का गेट सील कर दिया। इस पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और इस मुद्दे को लेकर तीखा विरोध जताया। आइए जानते हैं, आखिर यह JPNIC विवाद है क्या और इसके पीछे का पूरा माजरा क्या है?
क्या है जेपी सेंटर विवाद की जड़ें
अखिलेश यादव ने जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर JPNIC के अंदर स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की योजना बनाई थी। लेकिन इससे पहले ही प्रशासन ने जेपी सेंटर के गेट को सील कर दिया और पुलिस की तैनाती कर दी। इसके बाद अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें जयप्रकाश नारायण जैसे महान नेताओं को सम्मान देने से रोका जा रहा है।
मुलायम सिंह का सपना रह गया अधूरा
इस सेंटर का विचार मूल रूप से समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का था। वह चाहते थे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर लखनऊ में एक स्मारक बने। लेकिन उनकी सरकार के जाते ही मायावती की नई सरकार ने इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। हालांकि, 2012 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अपने पिता के इस अधूरे सपने को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया।
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अखिलेश ने जोड़ा पांच सितारा सुविधाओं का सपना
अखिलेश यादव ने न सिर्फ इस सेंटर को पूरा करने का जिम्मा उठाया, बल्कि इसे और भव्य बनाने की योजना बनाई। उनके कार्यकाल में JPNIC में पांच सितारा होटल, स्विमिंग पूल, क्लब, म्यूजियम, रेस्टोरेंट और स्पोर्ट्स सेंटर बनाने की योजना जोड़ी गई। इस परियोजना के लिए 178 करोड़ रुपये का प्रारंभिक बजट रखा गया, जिसे बाद में बढ़ाकर 864 करोड़ रुपये कर दिया गया। अखिलेश सरकार चाहती थी कि यह सेंटर 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बनकर तैयार हो जाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका।
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CAG की रिपोर्ट ने खोले भ्रष्टाचार के राज
जेपी सेंटर को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में इस परियोजना में अनियमितताओं का खुलासा हुआ। बिना टेंडर के कई कार्य कराए गए थे, और इस सिलसिले में एलडीए (LDA) के कुछ अधिकारी चीन तक घूम आए थे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि परियोजना के लिए विशेष एसी सिस्टम खरीदने के लिए भी नियमों का उल्लंघन हुआ।
योगी सरकार ने लगाई सेंटर पर रोक
2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के सत्ता में आते ही JPNIC के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई। मामला कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन सेंटर का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। यह मुद्दा अदालत में लंबित है, और इस बीच JPNIC निर्माण एक बड़े विवाद (JPNIC controversy) का केंद्र बन गया है। अखिलेश यादव ने इस प्रोजेक्ट का ठेका शालीमार कंपनी को दिया था, जिसके मालिक संजय सेठ अब बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं। तब वे समाजवादी पार्टी के कोषाध्यक्ष थे और अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे।
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सियासी बवाल ने लिया नया मोड़
इस विवाद के बीच प्रशासन ने जेपी सेंटर को सील कर दिया, जिससे अखिलेश यादव और उनके समर्थक भड़क गए। अखिलेश यादव ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया और योगी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह समाजवादी नेताओं के विचारों और योगदान को दबाने का प्रयास कर रही है।
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JPNIC विवाद ने बढ़ाई सियासी गर्मी
जेपी सेंटर को लेकर छिड़ा यह सियासी संग्राम लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। अखिलेश यादव के आरोप और योगी सरकार की प्रतिक्रियाओं ने इस मुद्दे को राज्य की राजनीति का केंद्र बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और क्या कभी जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (Jayaprakash Narayan International Convention Centre) का सपना हकीकत बन पाता है।
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