UP News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से चल रही चर्चा का अंत हो गया है। समाजवादी पार्टी ने आखिरकार यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर ब्राह्मण नेता माता प्रसाद पांडेय के नाम पर मुहर लगा दी है। सपा ने आधिकारिक लेटर जारी करते हुए यह ऐलान किया है। माता प्रसाद पांडेय अखिलेश सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके साथ ही महबूब अली को सपा ने विधानसभा में अधिष्ठाता मंडल, कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ आर के वर्मा को उपसचेतक की जिम्मेदारी दी है।
शिवपाल यादव और इंद्रजीत सरोज की अनदेखी
कई दिनों से चल रही कयासों के विपरीत, सपा मुखिया अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। चर्चाएं थीं कि अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को यह जिम्मेदारी दे सकते हैं, लेकिन अब शिवपाल का नाम इस सूची से बाहर हो गया है। इंद्रजीत सरोज का नाम भी चर्चा में था, लेकिन उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे इस दौड़ में नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि जो राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेंगे, वही सर्वोपरि होगा।
मानसून सत्र से पहले सपा की घोषणा
उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र 29 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष की घोषणा कर दी है। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने वरिष्ठ नेता और इटवा से सपा विधायक माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने मुख्य सचेतक समेत अन्य पदों पर भी नामों की घोषणा कर दी है। माता प्रसाद पांडेय कई बार विधायक रह चुके हैं और सपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अब वे यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठेंगे।
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अखिलेश यादव का चौंकाने वाला ब्राह्मण कार्ड
अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के बाद यह चौंकाने वाला ब्राह्मण कार्ड खेला है। माता प्रसाद पांडेय को सपा मुखिया अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है। चर्चा थी कि सपा अध्यक्ष अपने पीडीए के तहत किसी पिछड़े समुदाय से आने वाले नेता को यह जिम्मेदारी देंगे, लेकिन अखिलेश ने माता प्रसाद पांडेय के नाम पर मुहर लगाकर सभी को चौंका दिया है।
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अखिलेश यादव का राजनीतिक दांव
अखिलेश यादव ने बीते लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट से चुनाव लड़ा था। सांसद बनने के बाद उन्होंने करहल सीट से इस्तीफा दे दिया था, जिससे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जगह खाली हो गई थी। अब जब 29 जुलाई से यूपी विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है, उससे ठीक एक दिन पहले सपा मुखिया ने नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा कर दी है। अखिलेश यादव का यह कदम उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। ब्राह्मण कार्ड खेलकर उन्होंने पार्टी की जातीय संतुलन साधने की कोशिश की है। यह निर्णय ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने का प्रयास भी माना जा सकता है, जो आगामी चुनावों में सपा के लिए फायदेमंद हो सकता है।
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चुनावी रणनीति
हालांकि, इस निर्णय से पार्टी के अंदर असंतोष भी उभर सकता है। शिवपाल यादव और इंद्रजीत सरोज जैसे वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी से पार्टी में विरोधाभास की स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन अखिलेश यादव का यह दांव पार्टी के जातीय समीकरण को साधने और ब्राह्मण समुदाय के समर्थन को हासिल करने के लिए उठाया गया एक साहसिक कदम है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में माता प्रसाद पांडेय की नियुक्ति ने सपा की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। अखिलेश यादव का यह फैसला आगामी विधानसभा सत्र और चुनावों में पार्टी की रणनीति को प्रभावित करेगा। अब देखना यह होगा कि अखिलेश का यह ब्राह्मण कार्ड कितना कारगर साबित होता है और इससे पार्टी को कितनी मजबूती मिलती है।