UP By-Elections: उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बड़ा सियासी दांव खेला है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस कदम से मायावती राज्य की दलित राजनीति को पूरी तरह बदलने की ताकत रखती हैं। मायावती का यह सियासी दांव दलितों के बीच उनके समर्थन को मजबूत कर सकता है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वक्फ संपत्तियों की स्थिति और वक्फकर्ता का उद्देश्य नहीं बदलने दिया जाएगा। मायावती ने इस मुद्दे पर दलितों से एकजुट होकर विरोध करने की अपील की है।
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सत्तापक्ष और विपक्ष की तैयारी
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारी जोरों पर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा ने इन सीटों के लिए 30 मंत्रियों की टीम बनाई है। वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी लगातार बैठकें कर उपचुनाव की रणनीति बना रहे हैं। चर्चा है कि सपा करहल सीट से तेज प्रताप यादव और मिल्कीपुर सीट से सपा सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे को उम्मीदवार बना सकती है।
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मायावती का सियासी मुद्दा
बसपा चीफ मायावती ने अनुसूचित जातियों और जनजातियों के उप-वर्गीकरण के मुद्दे को बड़ा सियासी मुद्दा बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यों को SC में उप-वर्गीकरण का अधिकार मिल गया है, जिससे मायावती सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सभी लोग एकजुट होकर इसका विरोध करें और किसी भी सरकार को अधिकार न दें कि वह इसमें किसी और जाति के नाम जोड़ सके।
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मायावती का बड़ा कदम
मायावती ने यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया है, जब उनकी और बसपा की दलित राजनीति कमजोर होती दिख रही है। आम चुनावों में बसपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। लेकिन दलितों से जुड़े इस भावनात्मक मुद्दे पर जोर देकर मायावती ने अपनी पॉलिटिक्स को एक नया बूस्ट देने की कोशिश की है।
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सपा की रणनीति
सपा की ओर से मिल्कीपुर सीट पर अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट देने की चर्चा है। इसके साथ ही कानपुर की सीसामऊ सीट पर सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के बाद खाली हुई सीट पर सपा उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है।
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कांग्रेस भी मैदान में
कांग्रेस भी 2 से 3 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। लोकसभा चुनाव में मौजूदा विधायकों के सांसद बनने से विधानसभा की 9 सीटें खाली हुई हैं, जबकि एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा मिलने के कारण खाली हुई है। इस प्रकार करहल, मिल्कीपुर, सीसामऊ, कुंदरकी, गाजियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, खैर और मीरापुर समेत प्रदेश की कुल 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।
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राजनीतिक नाटक का नया अध्याय
इस पूरे मामले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। मायावती के इस कदम से सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। अब देखना होगा कि उपचुनाव में इस मुद्दे का कितना प्रभाव पड़ता है और मायावती की इस रणनीति से बसपा को कितना लाभ होता है। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में दलित राजनीति का यह नया अध्याय निश्चित रूप से सियासी ड्रामे का कारण बनेगा। अब देखना है कि मायावती का यह सियासी दांव कितना कारगर साबित होता है।
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