UP News: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावों (Haryana and Jammu and Kashmir elections) के बाद अब सभी की नजर देश के बड़े राज्यों में होने वाले चुनावों पर टिकी हैं। उत्तर प्रदेश में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। भले ही चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने चुनावी तैयारियों को लेकर बड़ा फैसला कर लिया है। मायावती (Mayawati) ने इस बार किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन न करने का ऐलान किया है।
बसपा के लिए मायावती का नया चुनावी दांव
बसपा की प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में वापसी के लिए कई तरह के राजनीतिक दांव आजमाए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ गठबंधन किया था, लेकिन यह रणनीति सफल नहीं रही। इसके बाद मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया, लेकिन इसके बावजूद भी बसपा का प्रदर्शन उम्मीद के अनुसार नहीं रहा। अब बसपा प्रमुख (BSP chief mayawati) ने नए सिरे से चुनावी रणनीति तैयार की है, जिसमें उन्होंने किसी भी पार्टी से गठबंधन न करने का ऐलान किया है। सूत्रों के अनुसार, मायावती का यह फैसला पार्टी के गिरते हुए वोट बैंक को संभालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
NDA और INDIA गठबंधन से भी बनाई दूरी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी न तो एनडीए (National Democratic Alliance) का हिस्सा बनेगी और न ही विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में शामिल होगी। मायावती ने दोनों बड़े गुटों से दूरी बनाते हुए संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी अपने बलबूते पर चुनावी मैदान में उतरेगी। उनका मानना है कि गठबंधन करने से बसपा का वोट बैंक दूसरे दलों की ओर शिफ्ट हो जाता है, जिससे पार्टी को नुकसान होता है।
वोट बैंक बचाने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मायावती का यह फैसला उनके गिरते हुए जनाधार को फिर से मजबूती देने की कोशिश है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि मायावती का मानना है कि दूसरे दलों के साथ गठबंधन करने से बसपा के परंपरागत वोटर भ्रमित हो जाते हैं और अन्य पार्टियों की ओर शिफ्ट हो जाते हैं। इससे पार्टी को अपना जनाधार बनाए रखने में मुश्किल होती है।
मायावती का यह नया रुख पार्टी को एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास हो सकता है। हाल के वर्षों में बसपा का प्रदर्शन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कमजोर रहा है। ऐसे में मायावती के इस फैसले को पार्टी के वोट बैंक को मजबूत करने और जनता के बीच पार्टी की साख को फिर से स्थापित करने की एक रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
यूपी उपचुनाव के लिए अपनायी नई रणनीति
उत्तर प्रदेश में जल्द होने वाले उपचुनावों में बसपा की नजर अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने पर है। इस बार मायावती ने किसी भी गठबंधन में शामिल न होने और अकेले दम पर चुनाव लड़ने की रणनीति अपनाई है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मायावती का यह कदम पार्टी के प्रति जनता के विश्वास को फिर से हासिल करने का एक प्रयास है। उपचुनाव के बाद होने वाले बड़े चुनावों में भी बसपा इसी रणनीति पर कायम रहेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती की यह नई रणनीति पार्टी के लिए कितनी कारगर साबित होती है और वह अपने पुराने वोट बैंक को फिर से संगठित कर पाती हैं या नहीं।
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