Parliament Session: लोकसभा का संसद सत्र (Parliament session) अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. यह सत्र 22 जुलाई से शुरू हुआ था, 12 अगस्त तक चलने वाला था, लेकिन इसका समापन पहले ही कर दिया गया. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सत्र की समाप्ति की घोषणा करते हुए सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन में सहयोग देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्रियों, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, विभिन्न दलों के नेताओं और सांसदों का आभार व्यक्त किया.
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पीएम मोदी और राहुल गांधी की गर्मजोशी से मुलाकात

बताते चले कि सत्र के समापन के बाद आज एक अनौपचारिक चाय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गर्मजोशी से एक-दूसरे का अभिवादन किया. इस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को नमस्ते किया. राहुल गांधी ने इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से यूक्रेन की स्थिति के बारे में जानकारी ली, जिस पर राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत यूक्रेन की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है.
चाय बैठक में उपस्थित महत्वपूर्ण नेता

इस अनौपचारिक चाय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के साथ-साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू, पियूष गोयल, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, लोजपा नेता चिराग पासवान, शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे, समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव समेत अन्य बड़े नेता भी मौजूद थे.
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सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता और बजट पर चर्चा

18वीं लोकसभा के दूसरे सत्र के दौरान 15 बैठकें हुईं, जो कुल 115 घंटे तक चलीं. इस सत्र की उत्पादकता 136 प्रतिशत रही, जो सदन के कार्यों की प्रभावशीलता को दर्शाती है. इस सत्र के दौरान केंद्रीय बजट 2024-25 (Union Budget 2024-25) को मंजूरी देने की प्रक्रिया पूरी की गई. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को सदन में बजट पेश किया था, जिसके बाद बजट पर सामान्य चर्चा 27 घंटे 19 मिनट तक चली. इस चर्चा में 181 सांसदों ने भाग लिया, जो विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हुए बजट के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा कर रहे थे.
सत्र का महत्व और समापन
अठारहवीं लोकसभा का दूसरा सत्र संसद के लिए महत्वपूर्ण था, जिसमें न केवल बजट पर चर्चा हुई, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण विधायी कार्य भी संपन्न किए गए. सत्र के समापन के साथ ही संसद ने अपने अगले सत्र की तैयारियों की ओर कदम बढ़ाया. इस दौरान हुई चर्चा और कार्यवाही देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई और यह सत्र संसदीय इतिहास में एक उत्पादक सत्र के रूप में दर्ज हो गया.
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