BJP MLA Tribhuvan Ram: मायावती सरकार के कार्यकाल में हुए चर्चित स्मारक घोटाले (smarak scam case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस घोटाले में लगभग 14 अरब रुपये के घोटाले की बात सामने आई है। अब इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक त्रिभुवन राम (Tribhuvan Ram) पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है। ईडी ने वाराणसी के अजगरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक त्रिभुवन राम को समन जारी किया है। ईडी की नजर में त्रिभुवन राम की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है, जिसके चलते उन्हें तलब किया गया है।
दिवाली से पहले पेश होने के दिए निर्देश
मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में बीजेपी विधायक त्रिभुवन राम (Tribhuvan Ram) और एक अभियंता को दिवाली से पहले प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने के आदेश दिए गए हैं। ईडी ने इसी घोटाले के संबंध में खनन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक और सलाहकार सुहैल अहमद फारुखी को भी समन भेजा है। मामले की जांच में तेजी लाने के लिए संबंधित अधिकारियों और विधायकों से पूछताछ की जा रही है। इससे पहले भी कई अधिकारियों से ईडी पूछताछ कर चुकी है, जिसमें मायावती सरकार के प्रमुख सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
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बीजेपी विधायक त्रिभुवन राम ने दी सफाई
स्मारक घोटाले में अपना नाम आने के बाद बीजेपी विधायक त्रिभुवन राम ने सफाई देते हुए कहा कि उनका इस घोटाले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक ईडी की ओर से कोई आधिकारिक नोटिस नहीं मिला है। त्रिभुवन राम ने बताया कि करीब तीन महीने पहले उनसे इस मामले को लेकर पूछताछ की गई थी, जिसमें उन्होंने जांच एजेंसियों को स्पष्ट किया था कि उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि वह किसी भी जांच में पूरी तरह सहयोग करने को तैयार हैं और उनके खिलाफ लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं।
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ईडी की नजर में पूर्व अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
ईडी की जांच के दायरे में सिर्फ विधायक ही नहीं, बल्कि कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। स्मारक घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में खनन विभाग के तत्कालीन निदेशक रामबोध मौर्य, बसपा सरकार के दौरान प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधिकारी मोहिंदर सिंह और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के तत्कालीन उपाध्यक्ष हरभजन सिंह से भी पूछताछ की है। ईडी ने इन अधिकारियों के बयानों को दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाया है।
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क्या है स्मारक घोटाला?
स्मारक घोटाला मायावती (mayawati) सरकार के दौरान हुए उन परियोजनाओं से जुड़ा है, जिनमें विभिन्न स्मारकों और पार्कों के निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताएं सामने आई थीं। कहा जा रहा है कि इस घोटाले में लगभग 14 अरब रुपये का घोटाला किया गया था। इस मामले में उच्च पदस्थ अधिकारी, अभियंता और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल थे। ईडी की जांच में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर अब कार्रवाई की जा रही है।
विपक्ष ने साधा निशाना
बीजेपी विधायक त्रिभुवन राम का नाम सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर बीजेपी पर तीखा हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी का ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ नारा सिर्फ दिखावा है और पार्टी के नेता खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। विपक्षी नेताओं ने इस घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ईडी की जांच से बढ़ी मुश्किलें
स्मारक घोटाले में ईडी की जांच तेज हो गई है और इसमें बीजेपी विधायक त्रिभुवन राम का नाम सामने आना मामले को और गंभीर बना रहा है। हालांकि, विधायक ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन जांच में उनके सहयोग से ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। इस मामले में अब सभी की निगाहें ईडी की जांच और आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।