Manendragarh: महामारी से बचने के लिए बैगा जनजाति के लोग अनोखी परंपरा का निर्वहन करते है। समाज के लोग होली से पहले मुर्गी का बिंदी, चुड़ी व माला से श्रृंगार कर उसे गांव में घर-घर दाना चुगने के लिए ले जाते हैं। यहां ग्रामीण उसकी पूजा करते है।अंत में मुर्गी को गांव से बाहर ले जाकर छोड़ दिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि मान्यता हैं कि इससे गांव में है बीमारियों से बचने के लिए इस तरह की परंपरा निभाते है. विभिन्न प्रकार की बीमारी नहीं आती है। साथ ही गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं।बीमारी से बचने और सुख-समृद्धि के लिए एमसीबी नगर पंचायत जनकपुर में के बरहोरी, भगवानपुर,घघरा ,बड़वाही समेत अन्य गांवों में जहां बैगा जनजाति के लोग रहते हैं, वहां यहां अनोखी परंपरा का निर्वहन कई वर्षों से किया जा रहा है।
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बैगा जनजाति के लोग पूजा करते
होली से पहले मुर्गी व बकरी का श्रृंगार कर गांव के घर-घर घुमाया जाता है। यहां बैगा जनजाति के लोग पूजा करते है। साथ ही चावल व सब्जी दान करते है।वहीं, अपनी सुविधा अनुसार मुर्गी व बकरी का श्रृंगार मंदिर में ले जाकर किया जाता है और पूजा की जाती है। मंदिर में पूजा करने के बाद ग्रामीण ढोल-नगाड़े के साथ मुर्गी व बकरा को गांव घुमाते हैं। बैगा जनजाति के लोगों ने बताया कि पूर्वजों की बनाई यह परंपरा वर्षों से गांव में निभाई जा रही हैं।हैं। यहां पूजा करने के दौरान ग्रामीण अनाज और सब्जी दान करते हैं। मुर्गी के निकासी के बाद नदी किनारे भंडारा का आयोजन करते हैं, यहां पूजा संपन्न होती हैं। जिस मुर्गी या बकरी का शृंगार कर बैगा पूजा करते है, उसे अंत में गांव से बहने वाली नदी के दूसरे छोर पर जंगल की ओर छोड़ा जाता है।
होली के पहले यहां परंपरा निभाई जाती
भगवानपुर के गरीबा मौर ने बताया कि पूर्वजों के समय बनाई इस परंपरा का निर्वहन वर्षों से हम लोग करते आ रहे हैं। होली के पहले यहां परंपरा निभाई जाती है। वहीं पंडा शोभन बैगा ने बताया कि मुर्गी या बकरी का शृंगार कर गांव में बाजे-गाजे के साथ घुमाया जाता हैं और अंत में उसे गांव से बाहर जंगल में छोड़ दिया जाता हैं। निकासी के दौरान गांव की सभी बुरी बलाएं उसके साथ चली जाती हैं और घर और गांव में खुशहाली आती हैं।अंत में भंडारे का आयोजन करते हैं ग्रामीणों ने बताया कि मुर्गी के श्रृंगार और पूजा के बाद उसे गांव में घुमाया जाता हैं।
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