Uttarakhand : उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन यानी की 6 सितंबर को निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने गन्ने से लदा ट्रैक्टर में किसानों की समस्या लेकर विधानसभा गेत पर पहुंचे। जहां उमेश कुमार को देख सुरक्षा कर्मियों के हैरान हो गए थे। बता दे कि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार सड़ी फसल लेकर ट्रेक्टर से विधानसभा पहुंचे जहा विधानसभा के मुख्य गेट पर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हे रोक दिया साथ ही उन्हें अंदर ट्रैक्टर नहीं ले जाने दिया। वहीं इस बीच निर्दलीय विधायक और सुरक्षाकर्मियों के बीच तीखी नोक-झोंक भी हुई।
किसानों और मजदूरों की कोई चिंता नहीं
- वहीं जन्माष्टमी पर्व के चलते माना जा रहा है कि बजट पारित करने के लिए विधानसभा का सत्र देर तक चल सकता है। बता दे कि कार्यमंत्रणा की बैठक में विधानसभा के मानसून सत्र को आठ सितंबर तक चलाने पर सहमति बनी है।
- निर्दलीय विधायक उमेश कुमार का कहना है कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री बहुत लापरवाह है और वो प्रदेश के नही बल्की विदेश के मंत्री है उन्हे राज्य की किसानों और मजदूरों की कोई चिंता नहीं है।
- विधायक उमेश कुमार का आरोप है कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों में निरीक्षण के लिए प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में पटवारी भी नही हैं। वहीं विधायक उमेश कुमार ने कहा कि आज वो विधानसभा में किसानों के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाएंगे।
Read more : सरकारी अधिकारियों के iPhone इस्तमाल करने पर लगा बैन…
फसल की क्या स्थिति है
वहीं विधायक उमेश कुमार ने हरिद्वार में किसानों की समस्याओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है। वहीं कल भी मॉनसून सत्र के पहले दिन निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सदन के बाहर बैठकर सरकार पर किसानों के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। लेकिन इस बारे में जब विधायक उमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे आज ट्रैक्टर पर सड़े हुए गन्ने लेकर विधानसभा पहुंचे हैं। ताकि सरकार को दिखाए जा सके उनके क्षेत्र में किसानों और फसल की क्या स्थिति है।
बिल फ्री किया जाए
वहीं सुचना के मुताबिक निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने सरकार ने मांग की है कि हरिद्वार जिले को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जाए।वहीं जिले के सभी किसानों का ऋण माफ किया जाए। सात ही इसके अलावा किसानों का बिजली बिल भी फ्री किया जाए। इसके साथ ही विधायक उमेश कुमार ने बताया कि इस मॉनसून ने किसानों की सारी फसल बर्बाद कर दी है। आज किसानों की हालत ये हो गई है कि अगली फसल की बुवाई और जुताई के लिए उसके पास पैसा नहीं है। वहीं उमेश कुमार ने सरकार पर आरोप लगाया कि डेढ़ महीने बाद भी सरकार ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में खराब हुई फसलों का निरीक्षण नहीं किया और न ही उन्हें सरकार की तरफ से कोई अनुदान पहुंचा है।