Earth Asteroid Collision: आज रात का दृश्य खौफ से भरा हो सकता है, क्योंकि धरती की ओर दो विशाल एस्टेरॉइड तेजी से बढ़ रहे हैं। 24 सितंबर की रात को ये दोनों एस्टेरॉइड धरती के बेहद करीब से गुजरने वाले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के कई हिस्सों में भूकंप या तूफान जैसी घटनाएं हो सकती हैं। इन एस्टेरॉइड्स को धरती के पास से गुजरते हुए देखने का भी मौका मिलेगा। इनमें से एक एस्टेरॉइड 2024 आरओ 11 नाम से जाना जाता है, जो करीब 100 फुट लंबा है और 45,800 मील प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की ओर आ रहा है।
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लगातार बढ़ रही एस्टेरॉइड घटनाएं
हाल के दिनों में धरती पर एस्टेरॉइड की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। आए दिन कोई न कोई एस्टेरॉइड धरती के करीब आता है और इससे वैज्ञानिकों में चिंता का माहौल बना रहता है। आज की रात फिर से दो एस्टेरॉइड्स का धरती के करीब से गुजरना वैज्ञानिकों को सतर्क कर रहा है। इस घटना को लेकर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं—क्या यह धरती के लिए खतरा बन सकता है?
भूकंप और तूफान की आशंका
वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि दोनों एस्टेरॉइड्स के धरती के करीब से गुजरने से धरती पर कंपन महसूस हो सकता है। कुछ हिस्सों में भूकंप और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की भी आशंका जताई जा रही है। इस दौरान धरती पर किसी बड़े नुकसान की संभावना नहीं है, लेकिन इन एस्टेरॉइड्स के प्रभाव से कुछ हलचल जरूर महसूस की जा सकती है। यह घटना खासकर वैज्ञानिकों और आम जनता के लिए विशेष रुचि का विषय है, क्योंकि इसे दूरबीन की मदद से देखा जा सकेगा।
एस्टेरॉइड 2024 आरओ 11: क्या खतरा है?
पहला एस्टेरॉइड 2024 आरओ 11 लगभग 100 फुट लंबा है और धरती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इसकी गति लगभग 45,800 मील प्रति घंटा है और यह धरती के बेहद करीब से गुजरेगा। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे धरती को कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन इसकी रफ्तार और आकार के कारण इस पर निगरानी रखी जा रही है।
दूसरा एस्टेरॉइड 2020 जी: क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
दूसरा एस्टेरॉइड 2020 जी नाम से जाना जा रहा है, जो लगभग 20 फुट लंबा है और यह 4,100 मील की दूरी से धरती के करीब से गुजरेगा। यह दूरी चंद्रमा और धरती के बीच की दूरी से थोड़ी अधिक है। नासा की जेट प्रोपल्शन लैब ने इस एस्टेरॉइड पर नजर बनाए रखी है। इसका आकार भले ही छोटा हो, लेकिन इसे लेकर वैज्ञानिकों ने सतर्कता बरती है।
क्या एस्टेरॉइड धरती के लिए खतरा बन सकते हैं?
वैज्ञानिकों का कहना है कि एस्टेरॉइड्स सौरमंडल के अवशेष हैं, जो 4.6 अरब साल पहले बने थे। जब ग्रह अपनी प्रारंभिक अवस्था में थे, तब मिट्टी और गैस के छोटे कण आपस में टकराकर एस्टेरॉइड्स का निर्माण हुआ। ये ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते रहते हैं और कभी-कभी धरती के करीब से गुजर जाते हैं। कुछ एस्टेरॉइड्स धरती के वायुमंडल में प्रवेश कर जाते हैं, जिन्हें उल्का पिंड कहा जाता है। ये आकाश में चमकीली रोशनी के रूप में नजर आते हैं।
क्या होती है एस्टेरॉइड्स की प्रकृति
एस्टेरॉइड्स धातु और खनिज पदार्थों का मिश्रण होते हैं, जिनकी संरचना चट्टान जैसी होती है। जब ये एस्टेरॉइड्स धरती के पास से गुजरते हैं, तो इन्हें नंगी आंखों से या दूरबीन की मदद से देखा जा सकता है। अगर ये एस्टेरॉइड्स धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो ये जलकर उल्का पिंड में बदल जाते हैं और यह दृश्य आकाश में एक अद्भुत नजारा पेश करता है।
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25 सितंबर को भी आएगा एक और एस्टेरॉइड
विज्ञान प्रेमियों के लिए यह सप्ताह खासा रोमांचक साबित हो रहा है, क्योंकि 25 सितंबर की रात को एक और एस्टेरॉइड धरती के करीब से गुजरने वाला है। इस एस्टेरॉइड का नाम 2024 आर के बताया जा रहा है, जो लगभग 100 फुट व्यास का होगा। इसे भी स्पेशल दूरबीन की मदद से देखा जा सकेगा।
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क्या एस्टेरॉइड से डरने की है जरूरत?
हालांकि, एस्टेरॉइड्स का धरती के पास से गुजरना चिंताजनक हो सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों ने आश्वस्त किया है कि इस बार कोई बड़ा खतरा नहीं है। फिर भी, एस्टेरॉइड्स के अध्ययन से हमें सौरमंडल की उत्पत्ति और ग्रहों की संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं। ऐसी घटनाओं से यह भी पता चलता है कि धरती और अंतरिक्ष के बीच कितना नाजुक संतुलन बना हुआ है। इसलिए, आज रात 24 सितंबर को जब दो एस्टेरॉइड्स धरती के पास से गुजरें, तो इसे एक रोमांचक और ज्ञानवर्धक अनुभव के रूप में देखें, न कि किसी भयावह घटना के रूप में।