Bhopal : भोपाल के वरुण वडेरिया ने 5,642 मीटर ऊंचे पर्वत पर 8 घंटे में चढ़ गए। बता दे कि वरुण वडेरिया अल्फ्रा ग्रेड माउनटेनियर हैं । वहीं वरुण वडेरिया माइनस 10 डिग्री टेम्प्रेचर,में वो 30 किमी प्रति घंटे बफीर्ली हवाओं की रफ्तार और खड़ी चढ़ाई, जो कि सबसे बड़ी चुनौती रही यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर न सिर्फ गायत्री मंत्र गूंजा, बल्कि तिरंगा भी लहराया है।
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योग से बढ़ा स्टेमिना
MP के वरुण के मुताबिक, 1000 मीटर ऊंचे पर्वत पर चढ़ने से ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। इससे सांसें फूलने लगती है। कई बार जान जोखिम पर आ जाती है। इसलिए चोटी पर चढ़ने से पहले मैंने दौड़ने की प्रैक्टिस की। स्टेमिना बढ़ाने के लिए योग भी किया। इसका नतीजा है कि, पहली ही बार में मैंने चोटी पर चढ़ गया। उन्होंने बताया कि वे एक प्रशिक्षित पर्वतारोही भी हैं। जिनका लक्ष्य सेवन समिट पर तिरंगा फहराना है। सेवन समिट सात पारंपरिक महाद्वीपों में से प्रत्येक के सबसे ऊंचे पर्वत हैं।
वडेरिया अल्फ्रा ग्रेड माउनटेनियर हैं। इन्हेनें इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर क्लाइबिंग एंड माउंटेनियरिंग से मान्यता प्राप्त संस्था नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ उत्तरकाशी से माउंटेनियरिंग का कोर्स किया है। वहीं पर्यटन एवं संस्कृति विभाग प्रमुख सचिव एवं प्रबंध संचालक शिवशेखर शुक्ला ने वडेरिया को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं भी दी।
महाद्वीप की है यह महत्वपूर्ण चोटी
वहीं वरुण MP टूरिज्म बोर्ड के जॉइंट डायरेक्टर भी हैं। बता दे कि वरुण ने बताया कि वे मास्को से बेस कैंप गारावासी पहुंचे। वहां दो दिन तक पर्वत पर चढ़ने की गाइडलाइन को जाना। इसके बाद 28-29 अगस्त की रात डेढ़ बजे से पर्वत पर चढ़ना शुरू कर दिया। अगले दिन सुबह 7.10 बजे यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच गए।सात महाद्वीप की यह महत्वपूर्ण चोटी है।
आने-जाने में करीब 8 घंटे लगे। वरुण ने चोटी पर तिरंगे के साथ ही मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड का झंडा भी लगाया। ताकि, मध्यप्रदेश के पर्यटन को दुनियाभर में पहचान मिल सके। वहीं वरुण वडेरिया के अनुसार , इस चोटी पर पहले भी कई भारतीय चढ़ चुके हैं। लेकिन इस समय वहां का मौसम सबसे कठिनाइयों वाला है। वहीं वहां अभी माइनस-10 डिग्री तक तापमान है।जिस दिन पर्वत पर चढ़े, तब भी तापमान इतना ही था। इसके अलावा तेज रफ्तार में बफीर्ली हवाएं चल रही थीं। ठंड-हवा के साथ खड़ी चढ़ाई थी।