ब्यूरो चीफ- गौरव श्रीवास्तव
पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आज जयंती है। जिन्हें उपाख्य के रूप में ‘राजा माण्डा’ कहा जाता था। ब्रिटिश उपनिवेश की आजादी से लेकर आज तक भारत में एक दर्जन से ज्यादे प्रधानमंत्री बने। लेकिन जो काम वी.पी. सिंह ने किया, वो किसी भी प्रधानमंत्री की करने की हिम्मत नहीं हुई।
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने कार्यकाल में मण्डल आयोग की सिफारिशों को लागू कराया था। जिसमें बहुसंख्यक पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिला। गौरतलब है कि पिछड़ों को नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में इसके पहले प्रतिनिधित्व बहुत कम मिला था।
उस जमाने में इस नेता के बारे में ये नारे लगाये जाते थे
‘राजा नहीं फकीर है, जनता की तकदीर है।’पिछड़ों के आरक्षण से आहत हुये भाजपाईयों ने इस नारे की प्रतिक्रिया में एक नारा लगाया-:
‘राजा नहीं रंक है, देश का कलंक है।’ ये नारा तो कुछ सवर्ण जातियों के चुनिंदा समूहों द्वारा भाजपा द्वारा पीछे से दिये समर्थन से लग रहा था। और उनकी मीडिया उस समय इस नारे को देश के युवाओं का नारा बताकर बढ़ा चढ़ाकर टीवी और अखबारों में दिखा रही थी। ताकि लोग ये समझे कि पूरा देश आरक्षण और विश्वनाथ प्रताप सिंह का विरोध कर रहा है।
विश्वनाथ प्रताप सिंह भले ही सवर्ण ठाकुर जाति से आते थे, लेकिन वे वंचित, दलित और पिछड़े समाज के प्रति मानवीयता का भाव रखते थे। वे सामंतवादी विचारधारा को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे। जन नायक विश्वनाथ प्रताप सिंह हमारे दिलों आजीवन जिंदा रहेंगे।