TikTok पर यूटा राज्य द्वारा दायर किए गए मुकदमे में कुछ गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिसमें कहा गया है कि, TikTok ने लंबे समय तक यह जानने के बावजूद कि उसकी लाइवस्ट्रीमिंग सुविधा यौन आचरण को बढ़ावा दे रही थी और बच्चों का शोषण कर रही थी, इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। राज्य के उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा दायर मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है कि टिकटॉक की लाइवस्ट्रीमिंग सुविधा ने एक “वर्चुअल स्ट्रिप क्लब” का रूप ले लिया था, जो बच्चों को वयस्क शिकारियों से जोड़ता था।
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TikTok लाइवस्ट्रीमिंग खतरे में
इस मुकदमे में यह भी कहा गया कि TikTok को लाइवस्ट्रीमिंग के खतरे के बारे में कई आंतरिक रिपोर्ट्स के माध्यम से पता चला था। एक जांच (जिसे प्रोजेक्ट मेरामेक कहा गया) में पाया गया कि 13 से 15 साल के बच्चों ने ऐप पर न्यूनतम आयु सीमा को दरकिनार कर दिया था, और कई बच्चों को यौन आचरण के लिए “तैयार” किया गया था, जिसमें नग्नता भी शामिल थी। इसके बदले में उन्हें आभासी उपहार दिए जाते थे। इसके अलावा, एक और जांच (प्रोजेक्ट जुपिटर) में यह भी सामने आया कि अपराधी लाइवस्ट्रीमिंग का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स बेचने और आतंकवाद को फंड करने के लिए कर रहे थे।
आरोपों का विरोध किया अनदेखा
TikTok ने इन आरोपों का विरोध किया और कहा कि… यह मुकदमा उसके द्वारा किए गए सुरक्षा उपायों और प्रतिबद्धताओं को अनदेखा करता है। टिकटॉक का कहना है कि उसने समुदाय की सुरक्षा और कल्याण के लिए कई सक्रिय कदम उठाए हैं। हालांकि, मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है कि टिकटॉक ने बच्चों के लिए संभावित जोखिमों के बावजूद लाइवस्ट्रीमिंग को जारी रखा और इस पर ध्यान नहीं दिया।
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अमेरिकी राज्यों में बच्चों का शोषण
अक्टूबर में, 13 अमेरिकी राज्यों और वाशिंगटन, डी.सी. के एक द्विदलीय समूह ने टिकटॉक पर बच्चों का शोषण करने और उन्हें ऐप की लत लगाने के आरोप में एक अलग मुकदमा दायर किया था। इस मुकदमे में आरोप लगाया गया था कि टिकटॉक बच्चों को उसके ऐप पर अधिक समय तक बिताने के लिए आकर्षित करता है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, ऐप की नीतियों और सुरक्षा उपायों के बावजूद, बच्चों का शोषण और उनका निजी डेटा जोखिम में डाला जा रहा है।
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बच्चों के शोषण के खिलाफ महत्वपूर्ण कदम
यूटा राज्य के अटॉर्नी जनरल सीन रेयेस ने इस मुकदमे को बच्चों के शोषण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियां अक्सर बच्चों को असुरक्षित और शोषणकारी माहौल में डाल देती हैं, और यह मुकदमा इस प्रकार के शोषण को उजागर करने और उस पर कार्रवाई करने के लिए आवश्यक है। रेयेस ने इस मुकदमे को एक पहल के रूप में देखा, ताकि बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर सुरक्षित रखा जा सके और उनकी गोपनीयता की रक्षा की जा सके।