Siyaram Baba Death: देश के प्रसिद्ध संत श्री 1008 सियाराम बाबा बुधवार को 94 वर्ष की आयु में पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके निधन के बाद उनके आश्रम के पास हिंदू रीति-रिवाज से संतों और सेवादारों द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दुखद घड़ी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी बाबा के आश्रम पहुंचे और दोपहर 3 बजे बाबा के चरणों में पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह गांव अब सियाराम बाबा के नाम से जाना जाएगा,” और उन्होंने यह भी कहा कि बाबा की कर्मभूमि तेली भट्टयान बुजुर्ग आश्रम को पवित्र क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा।
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सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
सियाराम बाबा के अंतिम दर्शन के लिए पूरे मध्य प्रदेश से लाखों भक्त खरगोन के तेली भट्टयान आश्रम पहुंचे। इसके अलावा, करोड़ों भक्तों ने घर बैठे लाइव दर्शन किए। संत महात्माओं और श्रद्धालुओं ने बाबा के आश्रम में पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बाबा की पुण्यतिथि पर निमाड़, मालवा और देशभर से संतों का भी आश्रम में आगमन हुआ, जिन्होंने बाबा के योगदान और उपदेशों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
संत रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार
बाबा का अंतिम संस्कार संतों के रिवाजों के अनुसार हुआ। दोपहर 3 बजे बाबा को पालकी में बिठाकर आश्रम से नर्मदा तट तक अंतिम यात्रा निकाली गई। यात्रा में भक्तों और श्रद्धालुओं की भीड़ सड़कों पर थी। यह यात्रा करीब 3:30 बजे घाट तक पहुंची, जहां बाबा की चिता को चंदन की लकड़ी और गाय के गोबर से सजाया गया। इसके बाद, दूध, घी, नर्मदा जल और पंचामृत से बाबा का अभिषेक किया गया। निर्धारित समय 4 बजे संतों ने मिलकर बाबा को मुखाग्नि दी।
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सियाराम बाबा की बीमारी और अंतिम दिन
संत श्री 1008 सियाराम बाबा पिछले कुछ दिनों से बीमारी से जूझ रहे थे। 29 नवंबर को उन्हें निमोनिया हो गया था, जिसके बाद उनकी तबीयत गंभीर हो गई। डॉक्टरों की निगरानी में बाबा का इलाज आश्रम में ही चल रहा था। हालांकि, बाबा ने खाना छोड़ दिया था और केवल तरल पदार्थों पर निर्भर थे। बाबा का स्वास्थ्य बिगड़ते-बिगड़ते अंततः बुधवार सुबह 6:10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।