Electoral Bonds Scheme: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को अवैध बताते हुए नए बॉन्ड की खरीद पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामनए आने लगी है. विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए नजर आ रहै है. पहले कांग्रेस ने भाजपा पर जमकर हमला बोला, उसके बाद इसी कड़ी में अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है.
Read more: CM Yogi ने महिला स्वयं सहायता समूहों में वितरित किए 54 करोड़ 25 लाख रुपये के ऋण
अखिलेश यादव ने एक्स पर किया पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद लगातार विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को घेरती हुई दिखाई दे रही है. आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि ये बीजेपी की नाजायज नीतियों का भंडाफोड़ है.
उन्होंने अक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा-“‘इलेक्ट्रारल बांड’ की अवैधानिकता और तत्काल ख़ात्मे का माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला लोकतंत्र के पुनर्जीवन के लिए स्वागत योग्य निर्णय है. ये भाजपा की नाजायज़ नीतियों का भंडाफोड़ है. ये फ़ैसला भाजपा-भ्रष्टाचार के बांड का भी खुलासा है. जनता कह रही है लगे हाथ भाजपाइयों द्वारा लाए गये तथाकथित पीएम केयर फंड और तरह-तरह के भाजपाई चंदों पर भी खुलासा होना चाहिए. जब करदाताओं, दुकानदारों, कारोबारियों से पिछले दसों सालों का हिसाब माँगा जाता है तो भाजपा से क्यों नहीं माँगा जाए.”
कांग्रेस ने साधा निशाना
वहीं दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की सबसे बड़ी विरोधी दल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. वायनाड सांसद राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा ये योजना ‘रिश्वत और कमीशन का माध्यम’ थी. सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए कहा, “नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है. बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था. आज इस बात पर मुहर लग गई है.”
5 सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया फैसला
वहीं इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने किया है.इसमंक सीजेआई के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। संविधान पीठ ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से दी गई दलीलों को सुना और 3 दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 2 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
read more: ‘भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है’ चुनावी बॉन्ड रद्द होने पर Rahul Gandhi का BJP पर वार