हर कोई घुमने के लिए अपने देश को छोड़ कर विदेश घुमने जाता है क्योंकि लोगों का ये मानना है देश से ज्यादा सुंदर पेरिस, न्यूयार्क, दुबई, लंदन जैसे कई देश हैं मगर शायद लोग ये भूल जाते है हमारे देश को सोने की चीड़िया ऐसे ही नहीं कहते हैं यहां की पहाड़ों की सुन्दरता आपको स्वर्ग के नजारे दिखाती हैं, हमारा देश इतना सुंदर है जिससे लूटने भी अंग्रेज भारत आएं थे ऐसे में हम आपको स्वर्ग जैसे पहाड़ों का नजारा दिखाएंगे जिसकी खूबसूरत स्वर्ग के सामान होगी साथ ही जो आपको तपोस्थल से जोड़ेगी।
आपको बता दे की कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में एक से एक शानदार पहाड़ हैं, जहाँ पहाड़ों की श्रृंखलाएं और सुंदर घाटियों का नजारा लोगों का मन मोह लेती हैं। भारत में ही विश्व के सबसे प्राचीन और सबसे नए पर्वत भी हैं। इन पहाड़ों की प्राचीनता देखने को अभी भी मिलती है। तो जाने उनमें से 10 पहाड़ों के बारे में जो आपके दिल को जीत लेगी….
माउंट एवरेस्ट :
हिमालय में ही विश्व की सबसे ऊंची चोटी गौरीशंकर (माउंट एवरेस्ट) है। एवरेस्ट एशिया महाद्वीप में है और हिमालय का हिस्सा है। यह नेपाल और चीन की सीमा पर मौजूद है। यह पहाड़ 8,848 मीटर ऊंचा है। इस पहाड़ को देवीय शक्ति का रूप भी माना जाता हैं क्योंकि कई श्रषि-मुनि इस तपोस्थल पर तप करने और इस भूमि को पावन बनाने आएं थे।
अरावली की पर्वत श्रृंखलाएं :
अरावली पर्वत की बात करे तो ये काफी सुंदर और प्यारा पर्वत है ।अरावली में ढ़ेंरो जंगल, झील और लहराते हुए घास के मैदान फैले हुए है इसके साथ ही कुछ खूबसूरत जगहें भी यहां शामिल है, जिसे देखने कई जोंडे इन वादियों में आते है।
विंध्याचल पर्वतमाला :
यह पर्वत प्राचीन भारत के पर्वतों में से एक है। आपको बता दे की इस पर्वत के श्रृंखला की महानता वेद, महाभारत, रामायण और पुराणों में की गई है। हालांकि इसकी कई छोटी-बड़ी पहाड़ियों को विकास के नाम पर काट दिया गया है। मगर आज भी यहां की सुंदरता लोगों को अपनी ओर आर्कषित करता हैं।
मलयगिरि :
यह पर्वत काफ़ी पुराने पहाड़ में से एक पहाड़ है। महर्षि अगस्त्य की तपोभूमि मलयगिरि पर्वत दक्षिण भारत में स्थित हैं। आपको बता दे की ये पर्वत भगवान विष्णु को प्रिय है, यहां का मलयगिरि चंदन बहुत ही प्रसिद्ध माना जाता है।
शुक्तिमान पर्वत :
ये पर्वत छत्तीसगढ़ के रायगढ़ नामक नगर से लेकर बिहार के डालमा पर्वत तक फैला हुआ है। आपके बता दे की ये पर्वत बहुत ही खूबसूरत है जहां कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं।
ऋक्ष पर्वत :
इस पर्वत श्रृंखला में शोण नद के दक्षिण छोटा नागपुर तथा गोंडवाना की भी पहाड़ियां मिली हैं। यह पर्वत भी पुराने पहाडों में से एक पहाड़ है।
चित्रकूट पर्वत :
पुराणों एवं भारतीय धर्मग्रंथों में चित्रकूट पर्वत की महिमा अनेक रूपों में वर्णित की गई है। महर्षि वाल्मीकि ने कहा था कि जब तक मनुष्य चित्रकूट के शिखरों का अवलोकन करता रहता है, तब तक वह कल्याण मार्ग पर चलता रहता है तथा उसका मन पापकर्म में नहीं फंसता, साथ ही मानसिक आपत्ति से बचा रहता है।
हिन्दूकुश पर्वत :
यह पर्वतमाला अफगानिस्तान में स्थित है। आपको बता दे की हिन्दूकुश पर्वत का पहले नाम पारियात्र पर्वत था। कुछ विद्वान इसे परिजात पर्वत भी कहते हैं। इसका दूसरा नाम हिन्दूकेश भी था।
महेन्द्राचल :
यह पर्वत प्राचीन भारत के सप्तकुल पर्वतों में से एक है। महेन्द्रगिरि व महिन्द्राचल भारतवर्ष में दो माने जाते हैं। एक पूर्वी घाट पर तथा एक पश्चिमी घाट पर हैं। वाल्मीकि रामायण का महेन्द्रगिरि पश्चिमी घाट पर है, जहां से हनुमानजी कूदकर लंका गए थे।
सह्याद्रि पर्वत :
सह्याद्रि पर्वत पश्चिमी घाट के उत्तरी भाग में है। यह पर्वत भी प्राचीन भारत के सप्तकुल पर्वतों में से एक है। हिमालय, अरावली, विंध्याचल के बाद इसका नंबर आता है। पर्वतों की यह महान और विशालकाय श्रेणियां भी उतनी ही प्राचीन है जितनी कि अरावली की पहाड़ियां हैं।