बिहार संवाददाता- शिव कुमार…
बिहार: कोसी का इलाका पिछड़ा इलाका है जहाँ भूखमरी,बीमारी बेरोजगारी और पलायन कुलाँचे भरती है हर साल कोसी नदी अपनी रौद्र रूप में आती है और कितने लोगों की जिंदगी जमींदोज कर जाती है हर साल कोसी के लोग बाढ़ की धंस को झेलते हैं और अपने आशियाना को अपनी आंखों के सामने कोसी में समाते हुए देखते है।
जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से उम्मीद…
कोसी नदी हर साल तांडव मचाती है पिछले दिनों लगातार नेपाल में हो रही बारिश से कोसी का जलस्तर बढ़ा जिससे तटबंध के अंदर के लोगों का आशियाना कोसी में समा गया लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए है।घर आंगन में पानी घुस गया कई लोगों का घर कोसी में समा गया ऐसे में संकट के समय में लोग स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन से उम्मीद लगाते हैं, की बाढ़ पीड़ितों के लिए मुकम्मल इन्तेजाम करेंगे लेकिन जब उनके लिए किसी तरह का इंतेजामत नहीं होता है, तो बाद पीड़ित अपने आप को बेबस और लाचारी समझते हैं दाने-दाने के लिए मोहताज बाढ़ पीड़ित कोसी के पानी के बीच टकटकी लगाए हुए रहते है की कोई तारणहार आये जो हम लोगों की मदद करें।
नेता सब सिर्फ वोट लेने आते है…
जो तस्वीर आप देखे रहें है ये सहरसा के महिषी प्रखंड अन्तर्गत राजनपुर पंचायत के चौरनियाँ गाँव का है जहाँ बाढ़ पीड़ित सरकारी सिस्टम का पोल खोल रहें है।सम्बंधित विभाग की मदद सरजमीं पर नदारद दिख रही है। बाढ़ पीड़ितों ने कहा की ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधि देखने आये है ना तो जिला प्रशासन के द्वारा किसी तरह की मदद की जा रही है। नेता सब सिर्फ वोट लेना आता है लेकिन जीतने के बाद कोई नहीं आता है।अभी हम लोगों को समाजसेवी भाई मीर रिजवान ने राशन किट वितरण किया है।वहीं युवा समाजसेवी मीर रिजवान ने कहा की आजादी के 70 वर्ष से अधिक हो जाने के बावजूद कोसी के लोग पूरी तरह से आजाद नहीं हो पाये है।
सुविधा केवल कागजों पर ही चलती है…
यहाँ के लोग आजाद भारत देश में रहने के बावजूद आजाद होकर खुशहाल जीवन नहीं जी पा रहें है।हर साल कोसी नदी इन लोगों जख्म देकर जाती है जो वक़्त गुजरने के बाद भी नहीं भर पाता है। बाढ़ पीड़ितों की सारी सुविधा केवल कागजों पर ही चलती है धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता। सम्बंधित विभाग के अधिकारियों के मिली भगत से खूब खेल होता है।जरूरत है भ्रष्ट सिस्टम को जल्द से जल्द सुधार करने की नहीं तो सरकार की योजनाएं धरातल पर फेल नजर आयेगी।