Kisan Andolan:किसान जो देश की अर्थव्यवस्था को संभालता है और देश की जीडीपी में अपना 15 प्रतिशत का योगदान देता है.देश के उसी किसान को आज अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ गया है लेकिन सरकार पर अभी तक किसानों के सड़कों पर उतरने का कोई असर नहीं हुआ है.किसानों के आंदोलन के दौरान देश ने आज एक 21 वर्षीय नौजवान किसान को गवां दिया है लेकिन ये बात यहीं तक नहीं रुकती इसके अलावा देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए दिन-रात अपनी ड्यूटी देने वाले वाले दो पुलिसकर्मियों को भी आज देश ने इसी आंदोलन के दौरान खोया है लेकिन सरकार अभी तक किसानों से जुड़ी उनकी मांगों को लेकर सिर्फ विचार मात्र कर रही है.सवाल यही है कि,आखिर ये विचार कब तक चलेगा और देश पता नहीं कितने किसान और पुलिसकर्मियों को ऐसे ही खोता रहेगा…..पता नहीं कब सरकार को होश आएगा कि,किसानों की समस्याओं को दूर करने का अब समय आ गया हैं।हालात ये हैं कि,कहीं किसान का बढ़ता आक्रोश सरकार के लिए महंगा ना पड़ जाए इसीलिए सरकार को इस पर जल्द ही कोई मध्यस्थता निकाल कर आंदोलन को रोकना चाहिए क्योंकि अगर ये आंदोलन ऐसे ही चलता रहा तो देश को इससे काफी ज्यादा नुकसान होगा और इसके लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद अब सामने आना चाहिए।
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कैसे हुई किसान शुभकरण की मौत?
किसान फसलों की MSP सहित अपनी अन्य कई मांगों को लेकर बुधवार को दिल्ली कूच की तैयारी में हैं.किसानों का दावा है कि,आंदोलन में पुलिस से झड़प के कारण खनौरी बॉर्डर पर 22 साल के किसान की मौत हो गई है.युवा किसान की मौत की वजह से किसान काफी भड़के हुए हैं.मृतक किसान का नाम शुभकरण सिंह बताया जा रहा है.किसानों का कहना है कि,सिर में चोट लगने के कारण शुभकरण की मौत हुई है.किसानों का ये भी कहना है कि,पुलिस ने गोली चलाई थी.हालांकि किसान की मौत पर पुलिस का कहना है कि,शुभकरण की मौत की वजह पुलिस नहीं है.ये मामला गंभीर होता जा रहा है.किसानों में अपनी मांगों को लेकर काफी गुस्सा है.वहीं इस मामले की जांच के लिए पंजाब सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं.शुभकरण और उनके चाचा चरणजीत सिंह ने करीब 20 एकड़ जमीन ठेके पर ली थी.वे उस जमीन पर खेती करते थे.पुशओं की देखभाल भी करते थे और खेती के लिए शुभकरण ने बैल भी रखे थे।
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देश ने आंदोलन में सुरक्षाकर्मी को भी खोया
किसान आंदोलन में ड्यूटी पर लगे पुलिस अफसर की मौत हो गई है.हरियाणा पुलिस के सब इंस्पेक्टर विजय कुमार विजय टोहाना बॉर्डर पर अपनी ड्यूटी दे रहे थे.ड्यूटी के दौरान अचानक तबियत खराब होने से उनकी मौत हो गई है.आपको यहां बता दें कि,किसानों की ओर से किए जा रहे आंदोलन में अभी तक तीन पुलिस अधिकारियों की मौत हो चुकी है.पुलिसकर्मियों की मौत को लेकर पुलिस महानिदेशक ने अपना दु:ख जाहिर किया है।
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जानकारी के मुताबिक ड्यूटी के दौरान विजय कुमार की अचानक तबियत बिगड़ गई.इसके बाद आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी.हरियाणा पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने विजय की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि,हरियाणा पुलिस दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के साथ है।विजय कुमार की उम्र 40 साल थी और वो हरियाणा प्रवर्तन ब्यूरो नूंह चौकी में तैनात थे.विजय कुमार का अंतिम संस्कार रोहतक में किया गया इससे पहले भी हरियाणा पुलिस के दो जवानों की ड्यूटी के दौरान मौत चुकी है।16 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर तैनात जीआरपी के सब-इंस्पेक्टर हीरालाल की भी तबियत अचानक बिगड़ गई थी.इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी भी जान नहीं बचाई जा सकी।एक अन्य घटना 20 फरवरी की है जब अंबाला के शंभू बॉर्डर पर ईएसआई कौशल कुमार की भी अचानक तबियत बिगड़ने से मौत हुई थी.आंदोलन के दौरान पुलिसकर्मियों की ऐसे लगातार हो रही मौतों से सरकार को कोई फ़र्क क्यों नही पड़ रहा है और अगर सरकार के ऊपर फर्क पड़ रहा है तो आखिर सरकार कब आगे आकर इस आंदोलन को रोकने के लिए कोई उचित रास्ता निकालेगी….ये सवाल अब सबके जेहन में कौंध रहा है।