Farmers Protest: देशभर के किसान इस समय अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे है. जिसमें से ज्यादा तर किसान पंजाब और हरियाणा के है.आज किसानों के आंदोलन का 8वां दिन है. किसान और केंद्र सरकार के बीच लगातार बैठको का दौर जारी है, जिसका कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है. 18 फरवरी को केंद्र सरकार और किसानों की चौथे दौर की बैठक हुई जो कि बेनतीजा रही.
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चौथे दौर की बैठक रही बेनतीजा
बताते चले कि तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की बैठक रविवार(18 फरवरी को हुई). जिसमें सरकार की तरफ से किसानों को जो प्रस्ताव दिए गए थे, उसे किसानों ने बीते दिन खारिज कर दिया है. इसके साथ ही किसानों ने आंदोलन जारी रखने का भी ऐलान कर दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग के लिए अब वह बुधवार सुबह 11 बजे से अपना ‘दिल्ली चलो’ विरोध फिर से शुरू करेंगे. किसानों ने आंदोलन को लेकर आगे का प्लान भी बताया है.
सरवन सिंह पंढेर ने सरकार को दी चेतावनी
बता दे कि किसान आंदोलन के दौरान 21 फरवरी को होने वाले ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा साफ था कि वे किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं करने देंगे. पंधेर ने कहा कि वे सरकार से बातचीत के जरिए समाधान निकालना चाहते हैं, लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्हें दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
‘अब सरकार ही जिम्मेदार होगी जो भी होगा’
इसी कड़ी में आगे उन्होंने बताया कि जब वे दिल्ली की ओर बढ़े तो उन पर गोलियां चलाई गईं और ट्रैक्टरों के टायरों पर भी गोलियां लगाई गईं. हरियाणा के डीजीपी ने कहा कि वे किसानों पर आंसू गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और उसे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. पंधेर ने कहा कि हरियाणा में हालात कश्मीर जैसे हैं और 21 फरवरी को वे दिल्ली की ओर मार्च करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें एक प्रस्ताव दिया है ताकि वे अपनी मांगों से पीछे हट जाएं, लेकिन अब सरकार ही जिम्मेदार होगी जो भी होगा.
‘सरकार की नियत में खोट है’
सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि सरकार की नियत में खोट है. नियत साफ होती तो ऐसा न करते. सरकार जल्द बताए कि C2+50 का फॉर्मूले पर क्या कर रही है? मनरेगा मजदूरी पर क्या कर रही है? बैठक में मंत्री 3 घंटे देरी से आते हैं. इतना समय किसी के पास नहीं है. शांति से आंदोलन जीते जाते हैं. सरकार चाहती है कि हम उग्र हों, लेकिन हम उग्र नहीं होंगे. अगर सरकार मसला हल नहीं क सकती तो आराम से हमें दिल्ली जाने दे.