वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पिछले नौ वर्षों में पीएम जन धन योजना के तहत 50.09 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं। बता दे कि केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जन-धन योजना के 9 साल (28 अगस्त 2023 को) पूरे हो गए हैं।
Jan Dhan Yojana: पिछले नौ वर्षों में प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 50.09 करोड़ से अधिक खाते खोले गए हैं और इन खातों में जमा राशि बढ़कर 2.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। बता दे पिछले 9 वर्षों के दौरान इस योजना के माध्यम से सरकार देश के वंचित तबके को भी बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने में सफल रही है। साथ ही डीबीटी या डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर के माध्यम से सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स का भी फायदा सीधे लाभर्थियों को दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य उन परिवारों के लिए शून्य रुपये की न्यूनतम जमा राशि वाले बैंक खाते खोलना था, जो अभी तक बैंकिंग सेवाओं से वंचित थे।
प्रधानमंत्री जन धन योजना क्या है?
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) को 28 अगस्त, 2014 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य ऐसे लोगों को बेसिक बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराना था, जिनकी पहुंच बैंकिंग सेवाओं तक नहीं थी। इसमें जीरो बैलेंस के साथ खाते खोले जाते हैं। इसके साथ ही निशुल्क डेबिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट आदि की सुविधा दी जाती है।
225 करोड़ बैंक खाते हैं…
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा कि अगस्त, 2023 तक पीएमजेडीवाई खाताधारकों को 33.98 करोड़ रुपे कार्ड जारी किए गए। यह आंकड़ा मार्च 2015 के अंत में 13 करोड़ था। जोशी ने कहा, “वर्तमान में देश में 225 करोड़ बैंक खाते हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि कई लोगों के पास एक से अधिक बैंक खाते हैं। कुल मिलाकर खाता खोलने के मामले में, हम पूर्णता के करीब हैं।
जन धन खातों में चार गुना बढ़ा बैलेंस…
प्रधानमंत्री जन धन योजना (PM Jan Dhan Yojana) को सरकार की ओर से वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की प्रमुख योजना के तौर पर लॉन्च किया गया था। इस असर भी जमीनी तौर पर दिखने लगा है। मार्च 2015 में जहां जनधन खातों में औसत 1065 रुपये जमा थे जो अगस्त 2023 में 3.8 गुना बढ़कर 4,063 रुपये हो गया है। इसमें बड़ी बात यह कि खोले गए कुल जन धन खातों में 56 प्रतिशत अकाउंट होल्डर्स महिलाएं हैं और 67 प्रतिशत खाते कस्बों और ग्रामीण इलाकों से हैं। जहां अक्सर देखा जाता है कि बैंकिंग सेवाओं की पहुंच कम होती है।