देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को कैंसिल करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना निर्णय सुनाने के लिए तैयार है। पांच जजों की बेंच में सभी वरिष्ठ जज शामिल हैं।
Article 370: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। बता दे कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक संविधान पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती के संबंध में सोमवार, 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार है। 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। वही अब 370 बटने के लगभग साढे चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है, जिसका सब को इंतजार है।
Article 370 क्या है?
अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक प्रमुख प्रावधान था जो पूर्व राज्य जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करता था। जुलाई 1949 में, जम्मू-कश्मीर के अंतरिम प्रधान मंत्री शेख अब्दुल्ला ने भारतीय संविधान सभा के साथ बातचीत का नेतृत्व किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः अनुच्छेद 370 को अपनाया गया।
केंद्र के फैसले को चुनौती…
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद (आर्टिकल) 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज अपना निर्णय सुनाएगा। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले क्या है सियासी सुगबुगाहट…
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अदालत के फैसले से स्पष्ट होना चाहिए कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लिया गया निर्णय अवैध था। नेकां और पीडीपी, पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) का हिस्सा हैं, जिसे गुपकार गठबंधन भी कहा जाता है। इसका गठन अनुच्छेद 370 बहाल करने के वास्ते संघर्ष करने के लिए जम्मू-कश्मीर में कई दलों द्वारा किया गया था।
5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पूछे सवाल…
- क्या धारा 370 को संविधान में स्थायी प्रावधान बना दिया गया है?
- क्या धारा 370 स्थायी प्रावधान बन जाने पर संसद के पास इसमें संशोधन करने की शक्ति है?
- क्या संसद को राज्य सूची के किसी भी मामले पर कानून बनाने की शक्ति नहीं है?
- केंद्र शासित प्रदेश कितने वक्त तक अस्तित्व में रह सकता है?
- संविधान सभा की अनुपस्थिति में धारा 370 को हटाने की सिफारिश कौन कर सकता है?