Digital- Aanchal Singh
Indian dance: भारत देश में नृत्य और संगीत की बहुत प्रसिदि्ध संस्कृति है, पारंपरिक, शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य शैलियाँ भारत के अतुल्य पारंपरिक नृत्यों की एक अद्भुत छवि को उजागर करती है। भारत के शास्त्रीय नृत्य में भरतनाट्यम, देश में शास्त्रीय नृत्य का सबसे पुराना रूप और भारत में सबसे लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य है तथा प्राचीन नाट्य शास्त्र में भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश (रामलीला)
उत्तरप्रदेश के इस इंडियन क्लासिकल डांस का अलग-अलग घराना है, जो अपने शिष्यों को इस नृत्य की विशिष्ट शिक्षा देते हैं। जयपुर घराना, बनारस घराना लखनऊ घराना, रायगढ़ घराना इत्यादि इसके प्रमुख घराने हैं।
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भागड़ा(पंजाब)
आम तौर पर यह भांगड़ा बैसाखी पर्व पर किया जाता है। भांगड़ा के दौरान लोग पंजाबी बोली के गीत गाते हैं।
असम (बिहू)
बोहाग बिहू का पर्व असम में नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है। ये त्योहार फसलों का त्योहार है और किसानों को समर्पित माना जाता है।
असम में इस दिन के साथ ही फसल की कटाई, शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है।
राजस्थान (घूमर)
घूमर नाम से ही प्रतीत होता है जैसे – घेर-घूमना । यहां घेर एक मेवाड़ी शब्द है जिसका अर्थ है गोलाकार कतार में घूमना। यह नृत्य महिलाओं द्वारा घूंघट की आड़ में गोल – गोल घूमते हुए थिरकते पांवों के साथ हाथों का गीत के अनुसार संचालन करते हुए बहुत ही सुन्दरता के साथ प्रस्तुत किया जाता हैं।
गुजरात (गरबा)
गरबा यानि कि एक प्रकार का नृत्य – डांडिया रास । गरबा नृत्य अथवा डांडिया रास , यह एक लोकनृत्य हैं जिसे पुरुषों तथा महिलाओं द्वारा किया जाता हैं। मुख्यतः यह नृत्य डांडिया की सहायता से किया जाता है और डांडिया के बिना हाथों से ताली बजाकर भी किया जाता है।
तमिलनाडु (भरतनाट्यम)
भरतनाट्यम भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य में से एक है। यह नृत्य ताल, राग और भावों का सम्मिश्रण है। आज इस नृत्य को पूरे भारत में सबसे सम्मानित कला तथा एक प्रतिष्ठा का विषय माना जाता है। इस नृत्य में नाट्यभावों यानि मुद्रा के साथ नर्तक या नृत्यांगनाओं का अभिनय कौशल भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
केरल (कथकली)
यह एक धार्मिक शास्त्रीय नृत्य है जिसमें पुराणों, शैव परंपराओं की कहानियों और रामायण आदि के विषयों पर नृत्य किया जाता है।
इस नृत्य में कलाकार संगीत की ताल पर मूक अभिनय करता है। इसमें महिला किरदार की भूमिका भी पुरुष हीं निभाते हैं। इसमें चेहरे पर मुखौटा लगा कर नृत्य किया जाता है।
आंध्र प्रदेश (कुचिपुड़ी)
कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश की एक नृत्य शैली है, जिसमें कर्नाटक शास्त्रीय संगीत पर नृत्य किया जाता है। इसे केवल एक नृत्य नहीं बल्कि भगवान को समर्पित एक पूरी धार्मिक प्रक्रिया के रूप में माना जाता है। इसमें पवित्र जल छिड़कने, अगरबत्ती जलाने और भगवान से प्रार्थना करने जैसे कुछ अनुष्ठान भी शामिल होते हैं।
ओडिशा (ओडिसी)
ओडिसी नृत्य परंपरा का जन्म भी अन्य शास्त्रीय नृत्यों की तरह मंदिर में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य से हुआ। इस नृत्य में शिव और सूर्य आदि हिंदू देवताओं की पौराणिक कथाओं को अभिव्यक्त किया जाता है। यह प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य ज्यादातर महिला नर्तकियों के द्वारा किया जाता है।
मणिपुर (मणिपुरी)
इस शास्त्रीय नृत्य में हिंदू तथा मणिपुरी देवताओं की कहानी, राधा-कृष्ण के प्रेम, विष्णु पुराण, भागवत पुराण तथा गीत गोविंदम् आदि से लिए गए विषय वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। नृत्य का मुख्य विषय रासलीला होता है। इस नृत्य को पारंपरिक मणिपुरी वेशभूषा और श्रृंगार करके नाजुक भंगिमाओं के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
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केरल (मोहिनीअट्टम)
यह नृत्य भगवान् विष्णु के मोहिनी अवतार प्रसंग से सम्बन्धित है। मोहिनीअट्टम में भरतनाट्यम और कथकली दोनों नाट्य शैलियों का समावेश देखने को मिलता है। इस नृत्य में लास्य यानि कोमल मुद्राओं का प्रयोग होता है।