Ayodhya: कभी राम भजन से सराबोर रहने वाले अयोध्या में हूटरों की आवाजे गूंज रही हैं। अयोध्या में जबरदस्त पहरेदारी हो रही है। 22 जनवरी का दिन अयोध्या ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां के लिए ऐतिहासिक होने वाला, क्योंकि राम की महिमा भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनियां के कोने-कोने तक है। ऐसे में रामलला के सदियों इतंजार के बाद अब विराजमान होने का एतिहासिक क्षण शीघ्र अतिशीघ्र आने वाला है और ये ऐतिहासिक क्षण हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के काल खंड में दर्ज हो जायेगा। इसी लिए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर की दिव्यता और भव्यता के साथ-साथ अयोध्या को भी सजाने सवारने का काम शुरू कर दिया है। जिसके लिए सीएम योगी विजन मॉड़ल में अयोध्या को शीर्ष पर रखा गया और खोल दिए गये है।
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एक प्रेम आज रामलला और सीएम योगी का देखा
आयोध्या के विकास के सभी दरवाजे गला रुंधा है पर आंख से आंसू बहने बाकी थे..जुबां पर राम का नाम था। राम के प्रति भक्ति ऐसी कि जुंबा भी ये कहते नहीं थकती कि राम आ रहे हैं। ये प्रेम दो,चार,पांच दिनों का नहीं बल्कि पूरे 500 वर्षों का है, वो 500 वर्ष जिसे गोरक्षपीठ ने जिया, देखा और महसूस किया है। खैर प्रेम तो हमने भी बहुत देखा है। एक प्रेम कृष्ण और यशोदा का देखा था। एक प्रेम राम और कौशल्या का देखा था और एक प्रेम आज रामलला और योगी का देखा है। ये भावुक क्षण एक पीठ (गोरक्ष) की तीसरी पीढ़ी को मिल रहे सौभाग्य का साक्षी है। ये सौभाग्य गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को मिला है।
500 सालों के अथक संघर्षों के बाद विराजेंगे राम
सच्चाई यही है कि 500 वर्षों के अथक संघर्षों और आंदोलन के बाद ये अवसर आया है। इस संघर्ष और आंदोलन में जिस पीठ ने सबसे ज्यादा संघर्ष किया और आंदोलन का पुरोधा रहा वो गोरक्षपीठ है..पीठ के महंत दिग्विजय नाथ ने इस आंदोलन को दिशा दी,इसके बाद महंत अवेद्यनाथ ने इसके लिए संघर्ष किया। इसके बाद उनके उत्तराधिकारी और मौजूदा समय में उत्तरप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी ने अपने पुरुषार्थ से इसे इसके परिणाम तक पहुंचाया। इसे भाग्य और सौभाग्य ही कहेंगे कि रामलला ने खुद सीएम योगी को चुना है। 25 मार्च 2020 की सुबह शायद ही कोई भूले, जब सीएम योगी ने अपनी गोद में लेकर श्रीरामलला को टेंट से निकाल कर अस्थाई टेंट में बिठाया था। वाकई ये अवसर हनुमान जी को मिला था जब उन्होंने श्रीराम को अपने कंधे पर उठाया था या फिर 25 मार्च जब सीएम योगी ने गोद में उठाया।
गोरक्षपीठ और पीठ के संतो का अतुलनीय योगदान रहा
550 सालों बाद वो घड़ी आ ही गयी जब प्रभू श्री राम अपने नव्य-भव्य घर में विराजेगें। इस पूरे परिदृश्य मे गोरक्षपीठ और पीठ के संतो का अतुलनीय योगदान रहा। आज सौभाग्य का विषय है कि योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा एक ओर जहां त्रेतायुगीन अयोध्या पुनर्स्थापित हो रही है और दूसरी ओर रामलला योगी जी के करकमलो से ही अपने दरबार मे स्थापित होने जा रहे हैं। ये कोई छोटी बात नहीं जो अयोध्या शतकों तक संघर्ष के लिए जानी जाती थी, वो महज दो सालों में राजा राम की पतित पावन नगरी रामराज्य वाली नगरी का भव्य स्वरूप देश दुनिया देख रही है। ये सब संभव हुआ है, सीएम योगी और पीएम मोदी के संकल्प से।
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