IRON MAN: भारत की धरती ने ऐसे कई वीरों को जन्म दिया है जिनके नाम भर लेने से अपने खून में एक शौर्य की अनुभूति होती है। ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं जिनका लोहा भारत ही क्या पूरी दुनिया मानती है, और उनके अभूतपूर्व कार्यों की वजह से है। उन्हें आज सारा जहान “लौह पुरुष” के नाम से भी जानता है। आप समझ तो गए ही होंगे कि आखिर बात किनकी हो रही है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं भारत को एक धागे में पिरोने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल की, कैसा रहा उनका जीवन और क्या है उनकी जीवनी, आइये जानते हैं…
हम आज बात करने जा रहे हैं भारत के उस गौरवशाली इतिहास की जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल की गाथा समायी है, वो भारत जो आज भारत बन पाया वो सिर्फ और सिर्फ सरदार वल्लभभाई की ही देन है, ये हमारा भारत जो आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक सिर्फ भारत कहलाता है शायद ऐसा न होता अगर सरदार पटेल ने इसमें अपनी भूमिका न निभाई होती, अगर सरदार पटेल न होते तो आज शायद हमे अपने भारत में ही एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर भी वीज़ा लेना पड़ जाता। सरदार पटेल भारत के उप प्रधानमंत्री, और पहले गृह मंत्री भी थे। आयरन मैन, जिन्होंने इंडिया को यूनाइटेड इंडिया बनाया, तो आइये जानते हैं उनके खास और राजनीतिक जीवन को…
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भारत की धरती ने कई वीरों को दिया है जन्म
साल 1875, तारिख 31, महीना अक्टूबर… ये वो दिन है जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने जन्म लिया, सरदार पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक लेवा पटेल (पाटीदार) जाति में हुआ था, वे झवेरभाई पटेल और लाडबा देवी की चौथी संतान थे, सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई उनके बड़े थे, उनकी पढ़ाई ज़्यादातर खुद ही हुई, लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे।
महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भी भाग लिया, स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला योगदान 1918 में खेडा संघर्ष में दिखाई दिया। गुजरात का खेडा खण्ड (डिविजन) उन दिनों भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी और कई लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे टैक्स न देने के लिये प्रेरित किया… आखिर में सरकार झुकी और उस साल टैक्स में राहत दी गयी… यह सरदार पटेल की सबसे पहली सफलता थी…
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जिन्होंने ‘भारत’ को बनाया ‘यूनाइटेड भारत!’
सरदार पटेल के सबसे अहम योगदानों में एक वो काम था जिससे ये भारत… आज पूरा भारत कायम है वरना आज हम सब किस तरह से अलग होते और अपने ही देश में वीज़ा लेकर घूमना पड़ता… ये सोचने भर से बड़ा डरावना लगता है। आजादी के वक्त भारत में 562 देसी रियासतें थीं। जिनका क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पहले यानि संक्रमण काल में ही वीपी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य शुरू कर दिया था।
पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। स्वायत्तता यानि उस शक्ति को कहते हैं जिसमें किसी को अपना स्वयं पर फैसला लेने का अधिकार मिलता है। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोड़कर शेष सभी राजवाड़ों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। लेकिन केवल जम्मू और कश्मीर, जूनागढ और हैदराबाद स्टेट के राजाओं ने ऐसा करने से मना कर दिया।
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धागे में पिरोया है सरदार वल्लभभाई पटेल ने..
जूनागढ़ सौराष्ट्र के पास एक छोटी रियासत थी और चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी। वह पाकिस्तान के समीप नहीं थी। वहाँ के नवाब ने 15 अगस्त 1947 को पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी, राज्य की सर्वाधिक जनता हिंदू थी और भारत में मिलना चाहती थी। नवाब के विरुद्ध बहुत विरोध हुआ। तो भारतीय सेना जूनागढ़ में प्रवेश कर गयी और नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया, और 9 नवम्बर 1947 को जूनागढ भी भारत में मिल गया। फिर फरवरी 1948 में वहाँ जनमत संग्रह कराया गया, जो भारत में विलय के पक्ष में रहा।
फिर बात आती है हैदराबाद की जो भारत की सबसे बड़ी रियासत थी। जो चारों ओर से भारतीय भूमि से घिरी थी, वहाँ के निजाम ने पाकिस्तान के प्रोत्साहन से स्वतंत्र राज्य का दावा किया और अपनी सेना बढ़ाने लगा। वह कई सारे हथियार आयात करता रहा, जिसको लेकर सरदार पटेल चिंतित हो उठेऔर आखिर में भारतीय सेना 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद में घुस गयी। तीन दिनों के बाद निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और नवंबर 1948 में भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। जो भारत के इतिहास और भारत की गरिमा के लिए काफी महत्वपूर्ण था।
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सारा जहान जिन्हें “लौह पुरुष” के नाम से जानता
लेकिन जब बात कश्मीर की आई तो हमें वो देखना पड़ा जो नहीं होना चाहिए था। नेहरू ने कश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि ये समस्या एक अन्तरराष्ट्रीय समस्या है। जिसके बादग कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाया गया और अलगाववादी ताकतों के कारण कश्मीर की समस्या दिनोदिन बढ़ती गयी। 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रयासों से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया, और सरदार पटेल का भारत को अखण्ड बनाने का स्वप्न साकार हो गया। 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रेदश अस्तित्व में आये। अब जम्मू-कश्मीर केन्द्र के अधीन रहेगा और भारत के सभी कानून वहाँ लागू होंगे।
प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस की तरह मनाया जाता है। इस दिवस को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। जिनकी भारत के राजनीतिक एकीकरण में अहम भूमिका थी। इस दिन को भारत के इतिहास में भारत सरकार सन् 2014 में लेकर आई। आपको बता दें कि 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय संकल्प दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। क्योंकि ये इंदिरा गांधी की हत्या का दिन था और कई विद्यालय और कॉलेज, विशेष रूप से कांग्रेस द्वारा संचालित राज्यों में, इंदिरा गांधी की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सरदार पटेल को भारत में जिस तरह से जीवंत रखा गया है उसका सबसे बढिया उदाहरण ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’है। जो पूरी दुनिया की सबसे बड़ी और ऊंची मूर्ति है जो भारत को पूरे विश्व में प्रख्यात करती है और सरदार पटेल के नाम IRON MAN सिद्ध करती है। ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की ऊँचाई 240 मीटर है, जिसमें 58 मीटर का आधार है। मूर्ति की ऊँचाई 182 मीटर है। जो स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग दोगुनी ऊँची है।
31 अक्टूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ की तरह मनाते हैं
31 अक्टूबर 2013 को सरदार वल्लभ भाई पटेल की 137वीं जयन्ती के मौके पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार वल्लभ भाई पटेल के एक नए स्मारक का शिलान्यास किया था, और यहाँ लौहे से निर्मित सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक विशाल प्रतिमा लगाने का निश्चय किया गया, और इस स्मारक का नाम ‘एकता की मूर्ति’ यानि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी रखा गया। प्रस्तावित प्रतिमा को एक छोटे चट्टानी द्वीप ‘साधू बेट’ पर बनाया गया है। जो केवाडिया में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच में है। 2018 में तैयार इस प्रतिमा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2018 को राष्ट्र को समर्पित किया और यह प्रतिमा 5 वर्षों में लगभग 3000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई है।
सरदार पटेल के नाम और उनके अस्तित्व की तरह खड़ी ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पूरे विश्व को उनके व्यक्तित्व और उनके आदर्शों को प्रदर्शित करती है। भारत को भारत बनाने में आयरन मैन ऑफ़ इंडिया यानी सरदार वल्लभभाई पटेल का जितना योगदान रहा है वो अतुलनीय है ऐसे व्यक्तित्व को शत शत नमन है जिन्होंने पूरे भारत के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।