- डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सेंटर स्थापित करने के निर्देश दिए
- लिवर के गंभीर मरीजों को त्वरित इलाज उपलब्ध कराने के आदेश
- मेडिकल कॉलेजों के लिए करोड़ों रुपये का बजट हुआ जारी
लखनऊ: टीबी को जड़ से मिटाने की दिशा में प्रदेश सरकार ने अहम कदम उठाया है। लखनऊ और गोरखपुर में स्टेट टीबी ट्रेनिंग डिमांस्ट्रेशन सेंटर स्थापित किए जायेंगे। इसमें टीबी के लक्षण इलाज आदि की बारीकियां बताई जायेंगी। डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।
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अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मंगलवार को बैठक कर अधिकारियों को इस दिशा में कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि सेंटर बनने से प्रशिक्षण प्रदान करने की आसानी होगी। साथ ही इलाज की कारगर रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि रोगियों के उपचार में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। नॉन एल्कॉहोलिक फैटी लिवर डिसीज (एन0ए0एफ0एल0डी0) से ग्रसित मरीजों को त्वरित उपचार उपलब्ध कराया जाए।
डेंटल यूनिट स्थापित किए जाने के निर्देश
वहीं, अयोध्या के रुदौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दंत रोगियों के इलाज के लिए डेंटल यूनिट स्थापित किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसमें दांतों की सभी तरह की बीमारियों का मुफ्त उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। यूनिट स्थापित करने के लिए 5,82,400 रुपये स्वीकृत किये गये हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि इस काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि क्षेत्रवासियों को दांतों का उपचार सुलभ हो सके।
मेडिकल कॉलेजों के लिए बजट जारी
प्रदेश के 14 राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में चिकित्सकीय उपकरणों की खरीद-फरोख्त के लिए 1,51,47,30,350 रुपये की मंजूरी दी गई है। इसमें अमेठी, औरैया, कानपुर देहात, कुशीनगर, कौशाम्बी, गोण्डा, चन्दौली, पीलीभीत, बुलंदशहर, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, सुल्तानपुर एवं सोनभद्र जिले शामिल हैं। प्रति राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के लिए 10,81,95,025 रुपये आवंटित किए गए हैं। वहीं, मरीजों के बेड एवं हॉस्पीटल फर्नीचर के लिए प्रति महाविद्यालय 2,72,93,900 रुपये को मंजूरी दी गई है।14 महाविद्यालयों के लिए कुल 38,21,14600 रुपये स्वीकृत किए गए हैं। महाविद्यालयों में प्रशासनिक फर्नीचर्स के लिए प्रति महाविद्यालय को 6,14,12,500 रुपये आवंटित किये गये हैं। साथ ही 14 महाविद्यालयों के लिए 85,97,75,000 रुपये स्वीकृत किए गए हैं। मेडिकल कॉलेजों में संसाधन बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं ताकि डॉक्टर व कर्मचारियों को किसी भी तरह की असुविधा न हो। वहीं, रोगी हित में भी लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। आधुनिक उपकरणों से कॉलेजों को लैस किया जा रहा है।
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