Sikandar Ka Muqaddar Review: जिमी शेरगिल की अभिनीत फिल्म ‘सिकंदर का मुकद्दर’ (Sikandar Ka Muqaddar) ने दर्शकों का ध्यान अपनी मनोरंजक और थ्रिलर कहानी से खींचा है। यह फिल्म एक रहस्यमय निर्देशक द्वारा बनाई गई एक उच्च-दांव वाली हीरे की चोरी और एक जुनूनी पुलिस अधिकारी की कहानी पर आधारित है, जो न्याय की खोज में लगातार लगा रहता है। इसके साथ ही फिल्म ने कई दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह कहानी वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित है या इसे पूरी तरह से काल्पनिक रूप से गढ़ा गया है।
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कहानी
‘सिकंदर का मुकद्दर’ (Sikandar Ka Muqaddar) की कहानी एक उच्च-स्तरीय हीरे की चोरी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस डकैती में तीन संदिग्ध मुख्य पात्र हैं: मंगेश देसाई (राजीव मेहता), कामिनी सिंह (तमन्ना भाटिया) और सिकंदर शर्मा (अविनाश तिवारी)। इन संदिग्धों से जुड़ा मामला जसविंदर सिंह (जिमी शेरगिल) के हाथों में आता है, जो एक पुलिस अधिकारी है और अपनी सहज बुद्धि और क्षमताओं पर भरोसा करता है।
कहानी 2008 में शुरू होती है, जब डकैती होती है। जसविंदर अपनी अथक जांच से इस अपराध का खुलासा करने में जुट जाता है। उसकी जांच के कारण संदिग्धों के जीवन में उलटफेर आता है और कामिनी और सिकंदर को छिपने के लिए मजबूर होना पड़ता है। फिल्म न केवल अपराधियों के मानसिकता को उजागर करती है, बल्कि दर्शकों को अपराध और निर्दोषता की अवधारणाओं पर पुनः विचार करने के लिए प्रेरित करती है।
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हर पल एक नया ट्विस्ट आता है
फिल्म में लगातार बढ़ते तनाव और अप्रत्याशित मोड़ों के साथ, यह दर्शकों को अपराध के असली मास्टरमाइंड के बारे में अनुमान लगाने के लिए मजबूर करती है। फिल्म में हर पल एक नया ट्विस्ट आता है, जो दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखता है।
क्या यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है?
सिकंदर का मुकद्दर की कहानी को देखकर यह समझना आसान है कि यह सच्ची घटना पर आधारित हो सकती है, लेकिन फिल्म के निर्माताओं ने इस बात की कोई पुष्टि नहीं की है कि यह किसी वास्तविक घटना पर आधारित है। कहानी में नैतिक अस्पष्टता, जुनूनी न्याय और जीवन को बदल देने वाले आरोपों की चर्चा है, जो वास्तविक जीवन की घटनाओं से मेल खाती है, लेकिन इसे पूरी तरह से काल्पनिक रूप से रचा गया प्रतीत होता है।
डायरेक्शन
नीरज पांडे ने एक बार फिर अपने जोन में बढ़िया काम किया है, वो आपको लास्ट तक सस्पेंस में रखते हैं, कहीं फिल्म खींची हुई नहीं लगती और आपको सांस लेने का मौका नहीं देती और हां यहां आप अंदाजा बिलकुल नहीं लगा पाएंगे कि सस्पेंस है क्या.कुल मिलाकर अच्छी फिल्म है, देख डालिए