Himachal Pradesh News:हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर 27 फरवरी को चुनाव हुआ था,जिसमें कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया था.इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी को बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी.इन सभी बागी विधायकों की तरफ से इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी…जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की।
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सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की अयोग्यता पर रोक लगाने से आज इनकार कर दिया है.कोर्ट ने अयोग्य करार देने वाले स्पीकर के फैसले पर रोक नहीं लगाई है. हालांकि,सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर को नोटिस जारी करके इसका जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 5 हफ्ते बाद की जाएगी…गौरतलब है कि,चुनाव आयोग ने पहले ही अयोग्य करार दिए गए विधायकों की सीटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है और अब इन 6 सीटों पर 1 जून को उपचुनाव होना है।
क्या था मामला?
हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने के बाद स्पीकर ने 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था.इन विधायकों ने राज्य विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.कांग्रेस के बागी विधायकों ने 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में भाजपा के हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था.इसके बाद सभी 6 विधायक पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए बजट पर मतदान से भी गायब रहे थे,इन सभी 6 विधायकों की क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी राज्यसभा चुनाव में भाजपा के हर्ष महाजन से हार गए।
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अयोग्यता पर लगे रोक
दरअसल,अयोग्य घोषित करने के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है.इस मामले पर सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना,जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने की है.6 बागी विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और देवेंद्र कुमार शामिल हैं.बागी विधायकों की ओर से वकील हरीश साल्वे कोर्ट में मौजूद रहे थे.उन्होंने कहा,हमें व्हिप नहीं मिली और चुनाव में क्रास वोटिंग हुई,सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक लगाने की बात भी कही है।
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चीफ जस्टिस ने दिया जवाब
जस्टिस संजीव खन्ना ने बताया कि,हम स्पीकर के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं,ये संभव ही नहीं हैं लेकिन हम याचिका पर नोटिस जारी कर सकते हैं और जहां तक फ्रेश इलेक्शन का सवाल है वो हम देखेंगे की उसका क्या करना है लेकिन हम आपको वोट देने और विधानसभा का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देंगे.हम आपको भाग लेने की अनुमति नहीं देंगे.इस पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, लेकिन क्या हमें यह नहीं बताया जाना चाहिए कि चुनाव हो गए हैं और कोई और आ गया है.इस पर जस्टिस संजीव ने कहा,इसकी हम जांच करेंगे.अब इस मामले पर अगली सुनवाई अप्रैल के आखिरी सप्ताह में होगी।