Shankaracharya Swami Avimukteshwaranand: गौरक्षा के मुद्दे पर दिल्ली में नेताओं से मिलना चाहते थे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें नरेला में रोक दिया, जिसके कारण वह भड़क गए। स्वामी जी ने कहा कि अब देश में गाय की बात भी नहीं की जा सकती और यह गौ माता के भक्तों के साथ हो रहा है। वह राजनीतिक दलों से मिलकर गौहत्या के खिलाफ अपनी आवाज उठाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उनकी योजना में अड़चन डाल दी।
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दिल्ली पुलिस ने कानून-व्यवस्था का दिया हवाला

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पहले दिल्ली के रामलीला मैदान में धरना देने की अनुमति मांगी थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने कानून-व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बाद उन्होंने अपना प्लान बदलते हुए दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों से मिलने का निर्णय लिया। परंतु जब वह आज दिल्ली में नेताओं से मिलकर गौरक्षा पर चर्चा करने आए थे, तब पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस नाराजगी जाहिर की
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस दौरान अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नेता दावा करते हैं कि वे गायों की रक्षा करेंगे, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन 80,000 गायों का वध किया जाता है। स्वामी जी ने इस पाखंड को समाप्त करने की बात की और कहा कि एक सच्चा हिंदू गौहत्या को कभी सहन नहीं कर सकता। उनका मानना है कि हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और गाय की हत्या को महापाप माना जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह स्थिति इसी तरह जारी रही तो हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। स्वामी जी ने यह भी कहा कि वह अब घर-घर जाकर सभी नेताओं से अपने विचार साझा करेंगे और गाय की रक्षा के मुद्दे पर उनका रुख स्पष्ट करेंगे। स्वामी जी ने यह भी बताया कि इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के एक नेता ने उनका समर्थन किया है, जबकि अन्य राजनीतिक दल चुप हैं और इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की यह हरकत राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। उनका कहना है कि गौहत्या पर समाज और राजनीति में चुप्पी तोड़ने की आवश्यकता है और इसी उद्देश्य से वह अपनी बात सभी नेताओं से करना चाहते हैं। उनका यह आंदोलन गौ माता के प्रति श्रद्धा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए है, जिसका समर्थन उन्हें समाज के कुछ हिस्सों से मिल रहा है, जबकि अन्य लोग इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
गौरक्षा का मुद्दा सुर्खियों में आया
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के इस कदम से एक बार फिर गौरक्षा का मुद्दा सुर्खियों में आ गया है। अब देखना होगा कि राजनीतिक दल और पुलिस इस पर किस तरह की प्रतिक्रिया देते हैं और स्वामी जी के आंदोलन में कितनी बढ़ोतरी होती है।
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