Rang Panchami 2025: रंग पंचमी (Rang Panchami 2025) का पर्व भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे हर साल होली के लगभग पांच दिन बाद मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर भारत के विभिन्न हिस्सों जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, मथुरा-वृंदावन आदि में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं को रंगों से सम्मानित किया जाता है और यह दिन रंगों के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार रंग पंचमी का त्योहार बुधवार, 19 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है।
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रंग पंचमी का शुरुआत

रंग पंचमी का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार होली के रंगों से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसमें एक खास धार्मिक महत्व भी है। इस दिन देवी-देवताओं को रंगों, गुलाल, और पुष्पों से अर्पित किया जाता है। इस पर्व की शुरुआत एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जो इसे विशेष बनाती है।
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रंग पंचमी की पौराणिक कथा
रंग पंचमी का पर्व भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा पर आधारित है। कथानुसार, देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव गहरे ध्यान में लीन हो गए थे। इस दौरान, सभी देवताओं ने भगवान शिव को ध्यान से जगाने की कोशिश की, ताकि वह पुनः धरती पर आकर समस्त संसार के कल्याण के लिए कार्य करें। इस प्रयास में सबसे पहले कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने का प्रयास किया।

कामदेव के इस कार्य से भगवान शिव बेहद क्रोधित हो गए और उन्होंने उन्हें भस्म कर दिया। कामदेव की पत्नी देवी रति और अन्य देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवित करने का वचन दिया। इस घटना से देवता इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने मिलकर रंगोत्सव मनाना शुरू किया। तभी से रंग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है।
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रंग पंचमी का मनाने का तरीका
रंग पंचमी का पर्व खासतौर पर एक आनंद और उल्लास का पर्व है, जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाते हैं। इस दिन देवी-देवताओं को रंगों से सजाया जाता है और श्रद्धालु एक-दूसरे के साथ खुशी के पल बिताते हैं। इस पर्व की शुरुआत के साथ ही रंगों का उत्सव और धूमधाम से मनाने की परंपरा भी शुरू हुई।

रंग पंचमी के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और रंग लगाते हैं, नृत्य और गीत गाते हैं, और इस पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हैं। यह दिन खासतौर पर प्रेम, सौहार्द और खुशियों का प्रतीक होता है, जो समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
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रंग पंचमी का ऐतिहासिक महत्व
रंग पंचमी न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा भी बन चुका है। इस दिन देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा और प्रेम का इजहार किया जाता है, साथ ही यह पर्व भारतीय लोककला, नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक गतिविधियों के समागम का प्रतीक है। इसके अलावा, यह पर्व सामाजिक एकता और सामूहिकता की भावना को भी बढ़ावा देता है।रंग पंचमी का पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य समान होता है — खुशियों का आदान-प्रदान और सामाजिक समरसता का उत्सव।